आज के इस भाग दौड़ भरी जिंदगी ने युवाओं से उनका वक्त तो छीना ही है साथ ही नींद भी छीन ली है. जिसके कारण हार्ट अटैक की समस्या युवाओं में आम बात हो गई है. खान-पान में ध्यान रखने के साथ ही नींद का पूरा होना भी जरूरी है क्योंकि सही नींद आपके शरीर को दिन भर की भाग दौड़ में मदद करती है.
जैसा की हम जानते हैं कि हृदय पूरे शरीर में रक्त पंप करने और संचार प्रणाली को बनाए रखने के लिए उत्तरदायी है, जो यह सुनिश्चित करता है कि शरीर के सभी टिश्यूज़ और अंगों को आवश्यक ऑक्सीजन प्राप्त हो रहा है. लेकिन आजकल, हृदय के स्वास्थ्य पर नींद की कमी के प्रभाव तेजी से स्पष्ट हो रहे हैं. हालाँकि धूम्रपान, खराब खान-पान और पर्याप्त व्यायाम न करने से हृदय के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है. लेकिन इन दिनों नींद की कमी ने भी हृदय पर प्रभाव डालना शुरू कर दिया है.
बता दें कि कम नींद लेने के नुकसान भी बहुत है. नींद की कमी ह्रदय पर प्रेशर डाल सकती है. नियमित रूप से हर रात छह घंटे से कम सोने से उच्च रक्तचाप, मधुमेह और हृदय संबंधी अन्य स्थितियों का खतरा बढ़ जाता है.
नींद की कमी आपके शरीर पर क्या प्रभाव डालती है?
नींद पूरी ना करने या कम सोने से आपके शरीर को कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकत है जैसे:
- सतर्कता की कमी
- याददाश्त की समस्या
- मनोदशा और व्याकुलता
नींद हमारे शरीर पर क्यों असर करती है?
जब अपर्याप्त नींद होती है तब भूख और भूख को नियंत्रित करने वाले हार्मोन्स का स्तर बिगड़ जाता है. जिससे उच्च वसा, उच्च कार्ब वाले स्नैक्स का अत्यधिक सेवन किया जाता है. पर्याप्त नींद लेने वालों की तुलना में, उन व्यक्तियों में जो व्यक्ति रात में सात घंटे से कम सोते हैं, उनमें मोटापे की संभावना अधिक होती है.
नींद की कमी से होने वाले शारीरिक और हार्मोनल परिवर्तन से ब्लड प्रेशर, हाई ब्लड शुगर और ब्लड में सूजन का स्तर भी बढ़ जाता है, जिससे हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है.
डॉक्टर्स की माने तो, “नींद मस्तिष्क सहित शरीर के हर अंग के लिए एक सक्रिय प्रक्रिया है.” “हमें नींद की ज़रूरत है ताकि हम पोषक तत्वों को बहाल कर सकें, विषाक्त पदार्थों को साफ़ कर सकें और अगले दिन के लिए रिचार्ज कर सकें.”
नींद और हार्ट अटैक कैसे जुड़े हैं?
विशेष रूप से, जो लोग प्रति रात पांच घंटे या उससे कम सोते हैं, उन्हें छह, सात या आठ घंटे सोने वाले लोगों की तुलना में दिल का दौरा पड़ने का खतरा अधिक होता है.
शरीर को खुद को सही रखने के लिए पर्याप्त नींद की जरूरत होती है. नॉन-रैपिड आई मूवमेंट (एनआरईएम) नींद की अवधि के दौरान रक्तचाप कम हो जाता है, सांस स्थिर हो जाती है और हृदय गति धीमी हो जाती है. ये परिवर्तन हृदय पर पड़ रहे प्रेशर को कम करते हैं, जिससे वह व्यक्ति के जागने के दौरान उत्पन्न होने वाले तनाव से उबरने में सक्षम होता है. जो लोग हर रात पर्याप्त नींद नहीं लेते हैं वे नॉन-रैपिड आई मूवमेंट (एनआरईएम) नींद के हृदय-स्वस्थ गहरे चरणों में पर्याप्त समय नहीं बिताते हैं. यही समस्या उन लोगों को भी परेशान कर सकती है जिनकी नींद बार-बार खुलती है.