फैक्ट चेक: दिल्ली में पुराने वाहनों पर प्रतिबंध हटाए जाने की फ़र्जी खबर हुई वायरल, जानें पूरा सच
सोशल मीडिया पर भारत का राजपत्र यानी ‘The Gazette Of India’ की एक तस्वीर के साथ पोस्ट वायरल हो रहा है। पोस्ट में दावा किया जा रहा है कि अब से दिल्ली में पुराने वाहनों पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया गया है।
फेसबुक पर पोस्ट शेयर कर हिंदी भाषा में लिखा गया है कि “NGT द्वारा 10 वर्ष पुराने डीजल एवं 15 वर्ष पुराने पेट्रोल वाहनों पर लगाई पाबंदी समाप्त। ₹5000 फीस दे कर अपनी 10 वर्ष पुरानी डीजल एवं 15 वर्ष पुरानी पेट्रोल कार की RC रिन्यू करवाइए। भारत सरकार ने जारी किया कानून 2023″
फेसबुक के वायरल पोस्ट का लिंक यहाँ देखें।
फैक्ट चेक:
न्यूज़मोबाइल की पड़ताल में हमने जाना कि वायरल पोस्ट में दी जा रही खबर फर्जी है।
सोशल मीडिया पर वायरल हो रही खबर की पुष्टि के लिए हमने गूगल पर पड़ताल आरम्भ की। पड़ताल के दौरान हमने सबसे पहले कुछ संबधित कीवर्ड्स से खोजना शुरू किया। खोज के दौरान हमें MORTHINDIA यानी Ministry of Road Transport and Highways, Government of India के आधिकारिक ट्विटर हैंडल द्वारा किया गया एक ट्वीट मिला।
A fake news is in circulation in Social Media claiming that MoRTH has issued a notification lifting ban imposed by Hon'ble NGT on vehicles (10 year old for diesel and 15 year old for petrol) in Delhi NCR.
— MORTHINDIA (@MORTHIndia) February 13, 2023
ट्वीट में वायरल दावे का खंडन कर बताया गया कि यह खबर फर्जी है। 22 दिसंबर 2022 को मंत्रालय की तरफ से प्रकाशित की गई यह अधिसूचना पुरानी या पहले से पंजीकृत वाहनों की ख़रीद-ब्रिकी को लेकर है और इसका एनजीटी द्वारा लगाए गए प्रतिबंध से कोई लेना देना नहीं है। मंत्रालय ने कहा कि एनजीटी द्वारा लगाया गया प्रतिबंध अभी भी लागू है।
इसके अलावा हमें भारत सरकार की वेबसाइट पीआईबी(PIB) पर पुरानी गाड़ियों को लेकर जारी की गयी अधिसूचना भी मिली। वेबसाइट पर जानकारी दी गयी है कि सरकार ने इस अधिसूचना के ज़रिए पुरानी गाड़ियों की ख़रीद बिक्री करने वाले कंपनियों को लेकर नए नियम जारी किए हैं। नए नियमों के अनुसार इन कंपनियों को पुरानी गाड़ियों की ख़रीद-बिक्री के लिए सर्टिफिकेट हासिल करना होगा। इसके साथ ही वेबसाइट पर कई अन्य नियमों का भी जिक्र किया है।
पड़ताल के दौरान हमने जाना कि वायरल खबर फर्जी है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने इस पर स्पष्टीकरण जारी कर इसे फर्जी बताया है।