प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए ‘इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस ऑन डिजास्टर रेजिलिएंट इन्फ्रास्ट्रक्चर (ICDRI) 2025’ को संबोधित किया। यह पहली बार था जब यह सम्मेलन यूरोप में आयोजित हुआ, और इस बार इसका आयोजन फ्रांस की राजधानी पेरिस में किया गया। अपने भाषण में प्रधानमंत्री ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और वहां की सरकार का धन्यवाद करते हुए दुनिया भर से आए सभी प्रतिनिधियों का स्वागत किया। उन्होंने फ्रांस के सहयोग से सम्मेलन को सफल बनाने के लिए सराहना की और आने वाले संयुक्त राष्ट्र महासागर सम्मेलन के लिए भी अपनी शुभकामनाएं दीं।
इस साल के सम्मेलन का विषय था – “तटीय क्षेत्रों के लिए एक सुरक्षित और आपदा-रोधी भविष्य बनाना।” प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाएं अब इतनी सामान्य हो चुकी हैं कि तटीय और द्वीपीय इलाकों को सबसे ज़्यादा नुकसान हो रहा है। उन्होंने हाल में आए कई खतरनाक तूफानों और चक्रवातों का उदाहरण दिया जैसे कि भारत और बांग्लादेश में आया चक्रवात रिमाल, कैरेबियन में आया हैरिकेन बेरिल, दक्षिण एशिया में यागी तूफान, अमेरिका में हैरिकेन हेलेन, फिलीपींस में उसागी तूफान और अफ्रीका में साइक्लोन चिडो। उन्होंने कहा कि इन घटनाओं से साफ हो जाता है कि अब समय रहते तैयारी करना बेहद ज़रूरी हो गया है।
#WATCH | Delhi: Addressing the International Conference on Disaster Resilient Infrastructure 2025, PM Narendra Modi says, “This conference is being hosted in Europe for the very first time. I thank my friend President Macron and the Government of France for their support. I also… pic.twitter.com/WMAzAiFCEn
— ANI (@ANI) June 7, 2025
प्रधानमंत्री ने भारत के अनुभव को साझा करते हुए बताया कि किस तरह देश ने 1999 के सुपर साइक्लोन और 2004 की सुनामी जैसी भयानक आपदाओं का सामना किया। उन्होंने कहा कि इन मुश्किलों से उबरने के बाद भारत ने तटीय क्षेत्रों में चक्रवात शेल्टर बनाए, और एक मजबूत सुनामी चेतावनी प्रणाली तैयार की, जो अब 29 देशों की मदद कर रही है। भारत ने इन चुनौतियों को अवसर में बदलते हुए आपदा प्रबंधन में बड़ी मजबूती हासिल की है।
प्रधानमंत्री मोदी ने ‘सीडीआरआई’ यानी Coalition for Disaster Resilient Infrastructure के कार्यों की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि यह संगठन इस समय 25 छोटे द्वीपीय देशों के साथ मिलकर मजबूत मकान, स्कूल, अस्पताल, बिजली और पानी की सुरक्षित व्यवस्था तैयार कर रहा है ताकि इन क्षेत्रों को प्राकृतिक आपदाओं से बचाया जा सके। उन्होंने यह भी बताया कि पहले से चेतावनी देने वाली प्रणाली यानी ‘अर्ली वार्निंग सिस्टम’ बहुत महत्वपूर्ण है और इसके ज़रिए लोगों की जान बचाई जा सकती है।|
#WATCH | Delhi: Addressing the International Conference on Disaster Resilient Infrastructure 2025, PM Narendra Modi says, “… I’m happy that the African Union has also joined the CDRI… We must design actionable programs and ensure that developing nations have access to… pic.twitter.com/JJKHZRmrAY
— ANI (@ANI) June 7, 2025
अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर सोच और तैयारी दोनों जरूरी हैं। उन्होंने बताया कि उच्च शिक्षा संस्थानों में आपदा प्रबंधन से जुड़ी शिक्षा और स्किल ट्रेनिंग को बढ़ावा दिया जाना चाहिए, ताकि नई पीढ़ी आने वाली आपदाओं के लिए तैयार हो। इसके अलावा उन्होंने एक डिजिटल प्लेटफॉर्म या रिपॉजिटरी बनाने का सुझाव दिया, जहां उन इलाकों के अनुभव और सीख इकट्ठा की जा सकें जो आपदा से उबर चुके हैं और अब मजबूती के साथ आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि विकासशील देशों को आपदा प्रबंधन के लिए सस्ते और आसान फाइनेंसिंग के विकल्प मिलने चाहिए, ताकि वे ज़रूरी इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार कर सकें।
प्रधानमंत्री ने द्वीपीय देशों के लिए एक नई सोच रखने की बात भी कही। उन्होंने कहा कि छोटे द्वीपीय देशों को केवल ‘Small Island Developing States’ न कहा जाए, बल्कि उन्हें ‘Large Ocean Countries’ यानी ‘बड़े महासागरीय देश’ के रूप में देखा जाए क्योंकि उनके पास विशाल समुद्री संसाधन हैं और उनकी समस्याएं भी उतनी ही गंभीर हैं। उन्होंने यह भी कहा कि समय पर चेतावनी और आपसी समन्वय आपदा के समय बहुत जरूरी होता है, ताकि मदद की जानकारी आखिरी व्यक्ति तक पहुंच सके और ज्यादा से ज्यादा जानें बचाई जा सकें।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण के अंत में कहा कि आपदाओं से बचाव अब सिर्फ एक देश का मुद्दा नहीं है, यह पूरी दुनिया की साझा जिम्मेदारी बन गई है। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस सम्मेलन के ज़रिए दुनिया मिलकर काम करेगी और ऐसा भविष्य तैयार किया जाएगा जिसमें आपदाएं नुकसान तो पहुंचाएं, लेकिन जीवन और विकास की रफ्तार न रुक पाए।
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