आज पूरे देश में धनतेरस का पर्व मनाया जा रहा है. धनतेरस को कृष्ण पक्ष के तेरहवें चंद्र दिवस के रूप में मनाया जाता है, जिसे ‘धनत्रयोदशी’ के नाम से भी जाना जाता है। ‘धन’ का अर्थ है धन और ‘तेरस’ का अर्थ है चंद्रमा चक्र का तेरहवां दिन।
इस वर्ष धनतेरस 25 अक्टूबर को मनाया जा रहा है। धनतेरस पूजन का श्रेष्ठ मुहूर्त शाम 6 से रात 8:34 बजे रहेगा।
दिवाली के त्योहार से दो दिन पहले मनाया जाने वाला धनतेरस त्योहारों के सप्ताह के पहले दिन की शुरुवात करता है जिसमें दिवाली, छोटी दिवाली, भाई दूज और गोवर्धन पूजा शामिल हैं। यह देश और दुनिया भर के हिंदू परिवारों के लिए एक शुभ अवसर है।
इस दिन को कुबेर का दिन भी माना जाता है और धन सम्पन्नता के लिए कुबेर की पूजा की जाती है. इस दिन लोग मूल्यवान धातुओं का और नए बर्तनों-आभूषणों का क्रय करते हैं. उन्हीं बर्तनों तथा मूर्तियों आदि से दीपावली की मुख्य पूजा की जाती है.
इस दिन आयुर्वेद के देवता भगवान धन्वंतरि का जन्म हुआ था। ऐसी मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि अपने हाथ में अमृत से भरा कलश लेकर प्रकट हुए थे। इसलिए इस दिन इनकी पूजा के साथ मां लक्ष्मी, कुबेर देवता और मृत्यु के देवता यमराज की पूजा भी की जाती है।
शाम को लक्ष्मी पूजा की जाती है. मिठाइयां बांटना और भक्ति / आरती गाना और मंत्रों को गाना भी परंपरा का हिस्सा है।