वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को चुनौती देने वाली 70 याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) संजीव खन्ना की अध्यक्षता में जस्टिस पीवी संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने इस बहुचर्चित मामले की सुनवाई की। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी और असदुद्दीन ओवैसी ने पैरवी की, जबकि केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पक्ष रखा।
याचिकाओं में वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 की कई धाराओं को संविधान विरोधी बताया गया है। खासतौर पर ‘वक्फ बाय यूजर’ संपत्तियों से संबंधित प्रावधानों, कलेक्टर को दिए गए अधिकारों और केंद्रीय वक्फ परिषद में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने की वैधता पर सवाल उठाए गए हैं। कपिल सिब्बल ने दलील दी कि यह अधिनियम संविधान के अनुच्छेद 26 का उल्लंघन करता है, जो धार्मिक मामलों के स्वतंत्र प्रबंधन का अधिकार देता है। उन्होंने यह भी कहा कि कलेक्टर सरकार का अंग होते हुए न्यायिक भूमिका नहीं निभा सकता।
कोर्ट ने केंद्र सरकार से तीखे सवाल पूछे, खासकर यह जानना चाहा कि क्या सरकार हिंदू धार्मिक बोर्ड में मुसलमानों को शामिल करने की अनुमति देगी, जब वह वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों की बात कर रही है। कोर्ट ने वक्फ बोर्डों में पदेन सदस्यों को छोड़कर केवल मुस्लिम सदस्यों की अनिवार्यता पर जोर दिया, जिसका सॉलिसिटर जनरल ने विरोध किया।
हालांकि, सुनवाई के दौरान जब CJI ने अंतरिम आदेश जारी करने की बात कही थी, तब कहा गया था कि “जो संपत्तियां पहले से वक्फ घोषित की जा चुकी हैं, उन्हें फिलहाल गैर-वक्फ नहीं माना जाएगा, चाहे वे ‘यूजर बाय वक्फ’ हों या नहीं।” साथ ही यह भी कहा गया कि कलेक्टर जांच की प्रक्रिया जारी रख सकते हैं लेकिन नए प्रावधान फिलहाल प्रभावी नहीं होंगे। लेकिन बाद में कोर्ट ने कोई लिखित आदेश जारी नहीं किया और इसे अगली सुनवाई तक टाल दिया।
मुस्लिम पक्ष ने आशंका जताई कि कानून के लागू होते ही करीब 8 लाख वक्फ संपत्तियों में से 4 लाख संपत्तियां प्रभावित हो सकती हैं। इस पर कोर्ट ने कहा कि जब तक सुनवाई लंबित है, सरकार वक्फ बाय यूजर संपत्तियों को डिनोटिफाई करने जैसी कोई कार्यवाही नहीं करेगी।
इस मामले में छत्तीसगढ़, असम, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा और राजस्थान सरकारों ने भी सुप्रीम कोर्ट से पक्षकार बनने की अनुमति मांगी है। इन राज्यों ने वक्फ कानून को संविधान के अनुरूप बताते हुए इसका समर्थन किया है।
अब इस संवेदनशील मामले की अगली सुनवाई गुरुवार, 17 अप्रैल 2025 को दोपहर 2 बजे होगी। कोर्ट ने संकेत दिए हैं कि वह तब तक किसी भी अंतरिम आदेश पर स्पष्टता ला सकता है।
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