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27 साल बाद दक्षिण अफ्रीका ने तोड़ा आईसीसी ट्रॉफी का सूखा, वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप जीतकर रचा इतिहास

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9722 दिनों का इंतजार, 27 साल की उम्मीदें और कई बार टूटे दिलों के बाद आखिरकार दक्षिण अफ्रीका ने बड़ा कमाल कर दिखाया है। उन्होंने इस सदी की अपनी पहली और कुल दूसरी आईसीसी ट्रॉफी जीत ली है। साल 1998 की आईसीसी नॉकआउट ट्रॉफी के बाद यह दक्षिण अफ्रीका की दूसरी आईसीसी खिताबी जीत है। लॉर्ड्स के ऐतिहासिक मैदान पर खेले गए वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) फाइनल में दक्षिण अफ्रीका ने गत विजेता ऑस्ट्रेलिया को पांच विकेट से हराकर खिताब अपने नाम किया।

एक साल पहले दक्षिण अफ्रीका को सबसे बड़ा झटका तब लगा था, जब वह भारत के खिलाफ टी20 वर्ल्ड कप फाइनल में सिर्फ सात रन से हार गए थे। उस मैच में दक्षिण अफ्रीका मजबूत स्थिति में था, आखिरी पांच ओवरों में सिर्फ 30 रन चाहिए थे और छह विकेट बचे थे, फिर भी वह खिताब जीतने से चूक गए थे। लेकिन जून 2025 में उन्होंने अपनी पिछली हार का बदला शानदार अंदाज में ले लिया है।

दक्षिण अफ्रीका अब न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया के बाद वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप जीतने वाली तीसरी टीम बन गई है। कप्तान टेम्बा बावुमा ने भी इतिहास रच दिया है। वह आईसीसी ट्रॉफी जीतने वाले दक्षिण अफ्रीका के सिर्फ दूसरे कप्तान बने हैं। उनसे पहले हांसी क्रोन्ये ने 1998 में यह उपलब्धि हासिल की थी। बावुमा वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) को अजेय रहते हुए जीतने वाले पहले कप्तान भी बन गए हैं। उनके नेतृत्व में दक्षिण अफ्रीका ने 10 में से 9 टेस्ट मैच जीते हैं और एक मैच ड्रॉ रहा है।

फाइनल के चौथे दिन दक्षिण अफ्रीका को जीत के लिए 69 रन और बनाने थे और उनके पास 8 विकेट बचे थे। लेकिन शुरुआत में ही झटका लग गया जब कप्तान बावुमा सिर्फ एक रन बनाकर आउट हो गए। पैट कमिंस की गेंद पर उन्होंने कीपर को कैच दे दिया और वह अपने रात के स्कोर 65 रन से आगे नहीं बढ़ सके।

इसके बाद ट्रिस्टन स्टब्स क्रीज पर आए लेकिन वह काफी धीमा खेलते दिखे और सिर्फ 43 गेंदों में 8 रन बनाकर मिचेल स्टार्क की गेंद पर बोल्ड हो गए। स्कोर 241/4 था और ऑस्ट्रेलिया को एक बार फिर मौका नजर आया, लेकिन मैदान पर डटे एडेन मार्करम ने कमाल का संयम दिखाया और टीम को जीत दिला दी।

एडेन मार्करम अंत तक नाबाद रहे और उनकी शतकीय पारी ने सुनिश्चित किया कि दक्षिण अफ्रीका 27 साल के सूखे को खत्म कर सके। उन्होंने यह साबित कर दिया कि बड़े मौके पर टिक कर खेलने वाले खिलाड़ी ही टीम को इतिहास रचाने में मदद करते हैं। इस जीत के साथ ही दक्षिण अफ्रीका ने न सिर्फ आईसीसी ट्रॉफी का सूखा खत्म किया बल्कि क्रिकेट इतिहास में अपना नाम स्वर्ण अक्षरों में दर्ज करा लिया।

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