शरीर की रक्षा प्रणाली पर बड़ा खुलासा, ब्रंको, रैम्सडेल और सकागुची को मिला नोबेल पुरस्कार

2025 का नोबेल पुरस्कार चिकित्सा या शरीर क्रिया विज्ञान के क्षेत्र में मैरी ई. ब्रंको, फ्रेड रैम्सडेल और शिमोन सकागुची को संयुक्त रूप से दिया गया है। उन्हें यह पुरस्कार इस महत्वपूर्ण खोज के लिए दिया गया है कि हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली (immune system) खुद पर ही हमला करने से कैसे बचती है। इन वैज्ञानिकों ने यह समझाया कि हमारा शरीर “परिधीय प्रतिरक्षा सहिष्णुता” (Peripheral Immune Tolerance) के ज़रिए यह सुनिश्चित करता है कि रोगों से लड़ते समय वह अपने ही अंगों और ऊतकों को नुकसान न पहुंचाए।
तीनों वैज्ञानिकों ने यह पाया कि “रेग्युलेटरी टी-सेल्स (Regulatory T Cells)”, यानी विशेष प्रकार की प्रतिरक्षा कोशिकाएं, इस प्रक्रिया में अहम भूमिका निभाती हैं। ये कोशिकाएं शरीर के अंदर शांति बनाए रखती हैं — ये तय करती हैं कि रोगाणुओं पर हमला हो, लेकिन शरीर के खुद के अंगों को कोई नुकसान न पहुंचे।
पहले वैज्ञानिक यह नहीं समझ पाते थे कि प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर की अपनी कोशिकाओं और बाहरी रोगाणुओं में फर्क कैसे करती है, क्योंकि कई बार हानिकारक जीवाणु खुद को शरीर की तरह पेश करते हैं। ब्रंको, रैम्सडेल और सकागुची ने अपने शोध से यह रहस्य उजागर किया कि यह अंतर कैसे किया जाता है। उन्होंने यह भी बताया कि इसके पीछे कौन से आनुवंशिक और आणविक रास्ते (genetic and molecular pathways) जिम्मेदार होते हैं।
इनकी खोज ने न केवल हमारी वैज्ञानिक समझ को आगे बढ़ाया, बल्कि इससे कई बीमारियों जैसे कि टाइप 1 डायबिटीज़, मल्टीपल स्केलेरोसिस और गठिया (rheumatoid arthritis) के इलाज के नए रास्ते भी खुले हैं। अब शोधकर्ता ऐसी दवाएं और उपचार विकसित कर रहे हैं जो रेग्युलेटरी टी-सेल्स को सक्रिय या बहाल करके शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को संतुलन में रख सकें।
पुरस्कार विजेता कौन हैं?
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मैरी ई. ब्रंको (जन्म 1961): उन्होंने प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से पीएचडी की और अब सिएटल स्थित इंस्टीट्यूट फॉर सिस्टम्स बायोलॉजी में वरिष्ठ कार्यक्रम प्रबंधक हैं। उन्होंने रेग्युलेटरी टी-सेल्स की पहचान में अहम भूमिका निभाई।
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फ्रेड रैम्सडेल (जन्म 1960): उन्होंने UCLA से पीएचडी की और अब सैन फ्रांसिस्को की सोनोमा बायोथेराप्यूटिक्स में वैज्ञानिक सलाहकार हैं। उन्होंने प्रतिरक्षा प्रणाली के आनुवंशिक नियंत्रण पर शोध किया।
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शिमोन सकागुची (जन्म 1951): जापान के ओसाका विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं। उन्होंने 1990 के दशक में सबसे पहले रेग्युलेटरी टी-सेल्स की खोज की थी, जो इस पूरे क्षेत्र की नींव बनी।
नोबेल समिति ने इनकी खोज को “बायोमेडिकल साइंस में एक बड़ा मोड़” बताया है और कहा है कि इन्होंने यह दिखा दिया कि हमारा शरीर रक्षा और विनाश के बीच संतुलन कैसे बनाए रखता है।





