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2-3 दिसंबर 1984 की खौफनाक रात, जिसने भोपाल में मचादी तबाही

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मध्यप्रदेश: भोपाल में 2 व 3 दिसंबर 1984 की मध्य रात्रि से शुरू हुईं चीख-पुकारों का शोर आज भी कइयों के ज़हन में ज़िंदा है. यहाँ 1986 में भोपाल में मानव इतिहास की एक सबसे भयंकर औद्योगिक रिसाव की घटना हुई. दरअसल यहाँ यूनियन कार्बाइड इंडस्ट्री से मिथाइल आइसोसाइनेट गैस लीक हुई जिसने ये पूरी तबाही मचाई.

 

2-3 दिसंबर, 1984 की खौफनाक रात को एक साइड पाइप से टैंक E610 में पानी घुस गया. पानी घुसने के कारण टैंक के अंदर जोरदार रिएक्शन होने लगा जो धीरे-धीरे काबू से बाहर हो गया. स्थिति को भयावह बनाने के लिए पाइपलाइन भी जिम्मेदार थी जिसमें जंग लग गई थी. जंग लगे आइरन के अंदर पहुंचने से टैंक का तापमान बढ़कर 200 डिग्री सेल्सियस हो गया जबकि तापमान 4 से 5 डिग्री के बीच रहना चाहिए था. इससे टैंक के अंदर दबाव बढ़ता गया.

इससे टैंक पर इमर्जेंसी प्रेशर पड़ा और 45-60 मिनट के अंदर 40 मीट्रिक टन एमआईसी का रिसाव हो गया और टैंक से भारी मात्रा में जहरीली गैस बादल की तरह पूरे इलाके में फैल गई.

 

गैस के संपर्क में आने पर आसपास में रहने वाले लोगों को घुटन, आंखों में जलनी, उल्टी, पेट फूलने, सांस लेने में दिक्कत जैसी समस्या होने लगी कई लोग ज़िन्दगी भर के लिए इससे प्रभावित हो गए तो कईयों को ऐसी परेशानिया जिसने अभी तक उनका साथ नहीं छोड़ा. विकलांगता, सांस फूलने जैसी बीमारियों ने आज भी यहाँ के लोगों को जकड रखा है और सरकार से मदद के नाम पर मिलते है मात्र 600 रूपए.

 

बच्चे, बूढ़े, जानवरों से लेकर पेड़ों तक हुए थे बेजान.

गैस के संपर्क में आने पर आसपास में रहने वाले लोगों को घुटन, आंखों में जलनी, उल्टी, पेट फूलने, सांस लेने में दिक्कत जैसी समस्या होने लगी कई लोग ज़िन्दगी भर के लिए इससे प्रभावित हो गए तो कईयों को ऐसी परेशानिया जिसने अभी तक उनका साथ नहीं छोड़ा. विकलांगता, सांस फूलने जैसी बीमारियों ने आज भी यहाँ के लोगों को जकड रखा है और सरकार से मदद के नाम पर मिलते है मात्र 600 रूपए.

 

इस हादसे के बाद मध्यप्रदेश सरकार द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया कि लगभग 3 हज़ार लोगों कि जान गयी मगर गैर सरकारी आकड़े कुछ और ही दर्शाते है.

 

हादसा तो हो गया मगर शायद इंसान कि भूल ने इंसानों पर 1984 में बड़ा अत्याचार कर दिया. इसी हादसे में अपनी जान गंवाने वाले लोगों को सम्मान देने के लिए हर साल यह दिन मनाया जाता है ताकि हम जागरूकता फैला सके और आगे इतनी बड़ी भूल से बच सके.