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हिमंत बिस्वा सरमा बने असम के 15वें मुख्यमंत्री, राज्यपाल मुखी ने दिलाई शपथ, नड्डा समेत भाजपा के ये नेता रहे मौजूद

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हिमंत बिस्वा सरमा ने आज असम के मुख्यमंत्री के पद की शपथ के ली है। गुवाहाटी में हुए समारोह में राज्यपाल जगदीश मुखी ने हिमंत बिस्वा सरमा को राज्य के मुख्यमंत्री की शपथ दिलाई। गौरतलब है कि उन्होंने सर्बानंद सोनोवाल की जगह ली है। बीते दिन यानी रविवार को ही सरमा को बीजेपी विधायक दल का नेता चुना गया था। असम विधानसभा चुनाव में बीजेपी के नेतृत्व में एनडीए ने पूर्ण बहुमत हासिल किया है।

बता दे हिमंत असम के 15वें मुख्यमंत्री हैं। दोपहर करीब 12 बजे हुए शपथ ग्रहण समारोह में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के अलावा पार्टी के कई पदाधिकारी शामिल हुए थे।

इधर हिमंता बिस्वा सरमा ने यह मौका देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के प्रति आभार भी व्यक्त किया। हिमंता के नाम का प्रस्ताव खुद सोनोवाल ने किया और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष रंजीत कुमार दास व नवनिर्वाचित विधायक नंदिता गर्लोसा ने उसका अनुमोदन किया। बता दें कि वर्तमान राजग सरकार राज्य में ऐसी पहली गैर-कांग्रेसी सरकार है जिसने लगातार दूसरी बार चुनाव जीता है।

असम में राजग को 75 सीटें मिली।

असम की 126 सदस्यीय विधानसभा में सत्तारूढ़ गठबंधन को 75 सीटें मिली हैं। भाजपा को 60 सीटें मिली हैं जबकि उसके गठबंधन साझेदार असम गण परिषद (एजीपी) व यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल (यूपीपीएल) को क्रमश: नौ और छह सीटें मिली हैं।

जानें बिस्वा का राजनितिक सफर।

1 फरवरी 1969 को जोरहाट में पैदा हुए बिस्वा सरमा के परिवार में मां मृणालिनी देवी, पत्नी रिनिकी भुयान और दो बच्चे हैं। कामरूप अकादमी से शुरुआती पढ़ाई के बाद उन्होंने कॉटन कॉलेज गुवाहाटी में दाखिला लिया। पॉलिटिकल साइंस में पीजी बिस्वा सरमा छात्र जीवन से राजनीति में सक्रिय रहे। 1991-92 में वह कॉटन कॉलेज गुवाहाटी के जनरल सेक्रेटरी बने। वहीं गवर्नमेंट लॉ कॉलेज से एलएलबी (कानून) और गुवाहाटी कॉलेज से पीएचडी की डिग्री ली। 5 साल तक उन्होंने गुवाहाटी हाई कोर्ट में वकालत की प्रैक्टिस की। मई 2001 में वह पहली बार जालुकबारी सीट से जीते। असम की पिछली सरकारों में वह वित्त, कृषि और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण जैसे अहम विभागों के मंत्री रहे। वहीं असम बैडमिंटन असोसिएशन के प्रेसिडेंट और असम क्रिकेट असोसिएशन के वह वाइस प्रेसिडेंट के पद पर भी काबिज हुए। तत्कालीन सीएम तरुण गोगोई से विवाद के बाद जुलाई 2014 में उन्होंने कांग्रेस के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था।

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