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लद्दाख: जानें कौन हैं सोनम वांगचुक, पिछले 13 दिनों से क्यों कर रहे हैं आमरण अनशन

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लद्दाख: जानें कौन हैं सोनम वांगचुक, पिछले 13 दिनों से क्यों कर रहे हैं आमरण अनशन

 

लद्दाख के जानें मानें क्लाइमेट एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक 21 दिन के अनशन पर हैं। लद्दाख को भारतीय संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग के समर्थन में एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक पिछले 13 दिनों से लेह में आमरण अनशन पर हैं। उनके समर्थन में 1500 के लगभग लोग सोमवार को एक दिवसीय भूख हड़ताल पर थे। सोनम वांगचुक ने एक वीडियो शेयर किया है, जिसमे उन्होंने जानकारी दी कि करीब 250 लोग उनके समर्थन में भूखे सोए। यह कदम क्षेत्र में बढ़ती अशांति और अधिक स्वायत्तता की मांग के बीच उठाया गया है।

दरअसल वांगचुक ने लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग रखी है। अगर उनकी यह मांग पूरी हो जाती है तो इसके अनुसार स्थानीय लोगों को आदिवासी इलाके में प्रशासनिक अधिकार मिल जायेगा।

एक वीडियो जारी कर कहा कि उन्होंने कहा कि ‘हमारा राष्ट्र न सिर्फ विविधता को सहन करता है बल्कि उसे प्रोत्साहित भी करता है। उन्होंने यह 21 दिनों का आमरण अनशन 6 मार्च को ‘#SAVELADAKH, #SAVEHIMALAYAS’ के अभियान के साथ शुरू किया। वांगचुक ने उस समय कहा था कि अगर जरुरत पड़ेगी तो अनशन को आगे भी बढ़ाया जा सकता है।’

शिक्षा सुधार और पर्यावरण संरक्षण में अपने काम के लिए जाने जाने वाले एक प्रमुख कार्यकर्ता और शिक्षक सोनम वांगचुक, छठी अनुसूची के तहत लद्दाख को शामिल करने के लिए नेतृत्व कर रहे हैं। उनका आमरण अनशन लद्दाख के लोगों की शिकायतों की ओर ध्यान आकर्षित करने और सरकार से उनकी मांगों को संबोधित करने का आग्रह करने की एक हताश अपील है।

सोनम वांगचुक के नेतृत्व में स्थानीय लोग लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग कर रहे हैं। जहां धारा 370 खत्म होने के बाद लद्दाख एक केंद्रशासित प्रदेश बन गया है। वही यहां जम्मू कश्मीर में विधानसभा की तरह स्थानीय काउंसिल नहीं है। अगर छठी अनुसूची लागू हो जाती है तो लद्दाख के लोग Autonomous District (स्वायत्त जिला) और क्षेत्रीय परिषदें बना पाएंगे। इसके अंतगर्त आने वाले लोग स्थानीय स्तर पर काम कर सकेंगे।