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बिहार चुनाव से पहले इलेक्शन कमीशन का बड़ा फैसला – कोरोना के चलते इन नियमों में किये बदलाव

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कोरोना महामारी के बढ़ते संक्रमण और आगामी बिहार चुनाव के मद्देनजर भारतीय निर्वाचन आयोग ने बड़ा फैसला लिया है। कोरोना को देखते हुए चुनाव आयोग ने 65 साल की उम्र से अधिक के लोगों को पोस्टल बैलेट द्वारा अपने मताधिकार का प्रयोग करने की अनुमति दे दी है।

कानून और न्याय मंत्रालय ने साल 2020 के चुनाव के लिए अधिसूचना जारी की है, जिसके मुताबिक 65 साल से ज्यादा उम्र के वोटर्स और होम/संस्थागत क्वारेंटीन में रह रहे कोविड पेशेंट को पोस्टल बैलेट की सुविधा दी जाएगी। गौरतलब है कि इससे पहले पोस्टल बैलेट का अधिकार 80 वर्ष तक के बुजुर्ग और दिव्यांगजनों को प्राप्त था।

केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्रालय द्वारा जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक केंद्र सरकार ने भारतीय निर्वाचन आयोग से सलाह-मशविरा करने के बाद निर्वाचनों का संचालन नियम, 1961 में संशोधन के नियम बनाए हैं। केंद्र सरकार के नोटिफिकेशन के मुताबिक निर्वाचनों का संचालन नियम, 1961 के नियम 27A की धारा (aa) में ‘या अपंग व्यक्तियों’ शब्द के बाद अंत में ‘संदिग्ध COVID-19 या संक्रमित व्यक्तियों’ को जोड़ दिया जाएगा। वहीं, धारा (e) में ’80 वर्ष’ शब्द को बदलकर ’65 वर्ष’ कर दिया जाएगा।

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नोटिफिकेशन के मुताबिक धारा (e) के बाद एक धारा (f) को भी इसमें जोड़ा जाएगा। इस धारा में लिखा होगा, ‘संदिग्ध COVID-19 या संक्रमित व्यक्तियों’ का मतलब उन मतदाताओं से है जो (i) सरकारी अस्पतालों या सरकार द्वारा चुने गए COVID-19 अस्पतालों, द्वारा इस वायरस के लिए पॉजिटिव चुने गए हैं, या (ii) COVID-19 के चलते होम क्वारंटीन या इंस्टीट्यूशन क्वारंटीन में हैं, और उन्हें राज्य सरकार या केंद्र शासित सरकार के अर्ह प्राधिकरण द्वारा इसके लिए प्रमाणित किया गया है।

केंद्र सरकार के नए नियम के बाद 65 वर्ष से ज्यादा आयु के मतदाताओं के अलावा कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों को भी घर बैठे ही डाक के जरिये अपना वोट डालने की अनुमति दे दी गई है।

आपको बता दें कि पिछले साल 22 अक्टूबर को कानून मंत्रालय द्वारा अधिसूचना के मुताबिक चुनाव में मत प्रतिशत बढ़ाने के लिए 80 साल के अधिक आयु के बुजुर्ग और दिव्यांग मतदाताओं के लिए पोस्टल बैलेट से मतदान की सुविधा दी गई थी। उस वक्त मंत्रालय ने मतपत्र से मताधिकार देने के लिए निर्वाचन संचालन नियम 1961 में संशोधन करते हुए इन्हें ‘अनुपस्थित मतदाता’ की श्रेणी में शामिल किया था।

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