बिहार विधान सभा चुनाव 2020 के नतीजों के बाद ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन यानी एआईएमआईएम (AIMIM) ने सबको चौंका दिया है। सबकी अपेक्षा के विपरीत इस चुनाव में AIMIM ने सीमांचल क्षेत्र में पांच सीटें जीती हैं जो एक छोटी से पार्टी के बड़े कारनामे का सबूत है।
इस मुल्क के मुक़द्दर के फैसले हमारी आवाज़ के बिना अधूरे हैं, इंशा अल्लाह आपके वोट से कामयाब हुए मजलिस के नुमाईन्दे सीमांचल के इन्साफ की लड़ाई डट के लड़ेंगे।
आपने हमें अपने दुआओं से, मोहब्बतों से, और अपने वोटों से नवाजा, इसके लिए हम आपका तहे दिल से शुक्रिया अदा करते हैं। pic.twitter.com/tMnJkJnvpD— AIMIM (@aimim_national) November 10, 2020
अब चलो बंगाल।
बिहार में पांच सीट जीतने के बाद असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने अपने इरादे जाहिर कर दिए है। ओवैसी अब बिहार में सबको चौंकाने के बाद पश्चिम बंगाल पर अपने जादू दिखाना चाहते है। इस चुनाव में 5 सीट जीतने के बाद ओवेसी ने कहा है कि उनकी पार्टी अब बंगाल में भी चुनाव लड़ेगी। हैदराबाद में अपने बेटे के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए ओवैसी ने कहा, ‘मैं बंगाल का चुनाव भी लड़ूंगा, क्या करेगा कोई?’
नतीजों के बाद आरोपों पर हुए गुस्सा।
इन नतीजों से एक तरफ ओवैसी बहुत गदगद है वही दूसरी और वो महागठबंधन के आरोपों से नाराज हैं। दरअसल महागठबंधन हार के लिए ओवैसी को जिम्मेदार ठहरा रहा है। इस पर AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, अगर बिहार चुनाव (Bihar Election) में हमारी वजह से महागठबंधन को नुकसान हुआ है तो फिर मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक में क्यों हार हुई? वहां तो हमारी पार्टी चुनाव नहीं लड़ी। इतना ही नहीं ओवैसी ने महागठबंधन (Mahagathbandhan) के आरोपों को गुरूर बताया है।
आगे बात करते हुए ओवैसी ने कहा, ‘हमारा हाल तो रजिया जैसी है जो गुंडों में फंस गई है। कोई कहता है हम एंटी नेशनल हैं और कोई कहता है हम वोट काट रहे हैं। इसके बावजूद बंगाल का चुनाव लड़ूेंगे.’।
2015 में बिहार में नहीं खुल सका था खाता।
गौर करने वाली बात ये है कि वर्ष 2015 में ओवैसी की पार्टी की हालत बिहार में इससे बिल्कुल अलग था। साल 2015 विधान सभा चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) ने 6 सीटों पर चुनाव लड़ा था लेकिन एक भी सीट पर जीत नहीं मिली थी. 2020 में AIMIM ने 20 सीटों पर चुनाव लड़ा और 5 सीटों पर जीत मिली है, जिसे चुनावी विशेषज्ञ बड़ा सन्देश मान रहे है।