कोरोना वायरस के संक्रमण और उससे जुड़े लोगों की जान के खतरें को देखते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट ने आज राज्य के सबसे बड़े त्यौहार दुर्गा पूजा को लेकर एक बड़ा फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने कहा कि बंगाल में दुर्गा पूजा पंडाल नो एंट्री जोन घोषित होंगे। यानी पंडाल में दर्शन के लिए आम लोग नहीं जा सकेंगे। पंडालों में सिर्फ आयोजकों की ही एंट्री होगी। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने सभी दुर्गा पूजा पंडालों को कंटेनमेंट जोन घोषित करने का निर्देश दिया है।
क्यों लिया ऐसा फैसला।
दरअसल, कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर दुर्गा पूजा पर रोक लगाने के लिए हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी। जिसपर आज सुनवाई के दौरान न्यायाधीश संजीब बंदोपाध्याय ने कहा कि दुर्गा पूजा के दौरान कोलकाता में लाखों की संख्या में दर्शनार्थियों की भीड़ उमड़ती है और मौजूदा पुलिस बल के जरिए शारीरिक दूरी का पालन करना बेहद मुश्किल हो जाता है।
All #DurgaPuja pandals declared no-entry zone in #WestBengal. Only organizers can enter the pandals. Names of people allowed to enter the pandals to be displayed outside it, orders #CalcuttaHighCourt pic.twitter.com/FNT5UD9OGt
— NewsMobile (@NewsMobileIndia) October 19, 2020
क्या है हाई कोर्ट का आदेश।
- स्तिथि के लिहाज से दुर्गा पूजा पंडालों में आम लोगों के प्रवेश पर रोक लगानी होगी।
- कोलकाता हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि पंडाल से पहले बैरीगेट लगाना होगा।
- इसके अलावा इनमें नो एंट्री के बोर्ड लगाने होंगे।
- सभी बड़े पंडालों को 10 मीटर की दूरी पर बैरिकेड लगाने होंगे, जबकि छोटे पंडालों के लिए यह पांच मीटर की दूरी पर बैरिकेड लगाने होंगे।
- सभी दुर्गा पूजा पंडालों को कंटेनमेंट जोन घोषित करने का निर्देश।
- पंडालों में दर्शन के लिए आम जनता के जाने पर मनाही।
- पंडालों में सिर्फ आयोजकों की ही एंट्री।
इधर हाईकोर्ट ने ये भी कहा कि कोलकाता में इतनी पुलिस नहीं है कि 3000 पंडालों में श्रद्धालुओं को नियंत्रित कर सके। अब, महानगर के पूजा आयोजकों ने हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत किया है।