उत्तर प्रदेश के वाराणसी में लोकसभा चुनाव के समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रस्तावक रहे डोम राजा जगदीश चौधरी का आज सुबह निधन हो गया। परिजनों के अनुसार, वह कुछ समय से बीमार थे और निजी अस्पताल में भर्ती थे। उनके निधन का समाचार सुनकर प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी ने भी ट्वीट कर दुख जताया। परिजनों के अनुसार, वह कई दिनों से अस्वस्थ्य थे। वह कुछ समय से पैर में घाव से भी पीड़ित थे। रात में अत्यधिक तबीयत खराब होने पर सुबह में परिवारीजन सिगरा स्थित निजी चिकित्सक के यहां ले गए, जहां उपचार के दौरान उनकी मौत हो गई।
प्रधानमंत्री मोदी ने लिखा, “वाराणसी के डोम राजा जगदीश चौधरी जी के निधन से अत्यंत दुख पहुंचा है। वे काशी की संस्कृति में रचे-बसे थे और वहां की सनातन परंपरा के संवाहक रहे। उन्होंने जीवनर्पयत सामाजिक समरसता के लिए काम किया। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे और परिजनों को इस पीड़ा को सहने की शक्ति दे।”
वाराणसी के डोम राजा जगदीश चौधरी जी के निधन से अत्यंत दुख पहुंचा है। वे काशी की संस्कृति में रचे-बसे थे और वहां की सनातन परंपरा के संवाहक रहे। उन्होंने जीवनपर्यंत सामाजिक समरसता के लिए काम किया। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे और परिजनों को इस पीड़ा को सहने की शक्ति दे।
— Narendra Modi (@narendramodi) August 25, 2020
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी ट्वीट कर दुख जताया। उन्होंने लिखा, “सामाजिक समरसता की भावना के प्रतीक पुरुष, काशीवासी डोमराजा श्री जगदीश चैधरी जी का निधन अत्यंत दुखद है। श्री जगदीश चौधरी जी का कैलाशगमन संपूर्ण भारतीय समाज की एक बड़ी क्षति है। बाबा विश्वनाथ से प्रार्थना है कि आपको अपने परमधाम में स्थान प्रदान करें। शांति!”
सामाजिक समरसता की भावना के प्रतीक पुरुष, काशीवासी डोमराजा श्री जगदीश चौधरी जी का निधन अत्यंत दुःखद है।
श्री जगदीश चौधरी जी का कैलाशगमन सम्पूर्ण भारतीय समाज की एक बड़ी क्षति है।
बाबा विश्वनाथ से प्रार्थना है कि आपको अपने परमधाम में स्थान प्रदान करें।
ॐ शांति!
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) August 25, 2020
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डोम राजा जगदीश चौधरी थे पीएम मोदी के प्रस्तावक।
2019 के लोकसभा चुनाव में जगदीश चौधरी पीएम नरेंद्र मोदी के प्रस्तावक भी बने थे। पहली बार ऐसा हुआ था जब किसी राजनैतिक दल ने डोम राजा परिवार के सदस्य को चुुनाव में प्रस्तावक बनाया था। तब जगदीश चौधरी ने इस बात को लेकर खुशी ज़ाहिर करते हुए कहा था, ‘पहली बार किसी राजनीतिक दल ने हमें यह पहचान दी है और वह भी खुद प्रधानमंत्री ने। हम बरसों से लानत झेलते आए हैं। हालात पहले से सुधरे जरूर हैं, लेकिन समाज में हमें पहचान नहीं मिली है और प्रधानमंत्री चाहेंगे तो हमारी दशा जरूर बेहतर होगी।’
क्या है डोमराजा का इतिहास।
दरअसल बनारस में डोमराजा परिवार का इतिहास सदियों पुराना है। मशहूर मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र श्मशान घाट पर वर्षों से इनके ही परिवार के लोग अंतिम संस्कार के लिए मुखाग्नि देते हैं। काशी में करीब पांच हजार लोग इनकी बिरादरी से जुड़े हैं। वाराणसी के हरिश्चंद्र और मणिकर्णिका घाट पर ‘राम नाम सत्य है’ का उद्घोष, जलती चिताएं और दर्जनों की तादाद में डोम यहां की पहचान रहे हैं।