नई दिल्ली: रॉकेट काउंटडाउन के दौरान अपनी विशिष्ट आवाज के लिए मशहूर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की वैज्ञानिक एन. वलारमथी का पिछले शनिवार को निधन हो गया. इसरो वैज्ञानिक का बयान आखिरी बार चंद्रयान-3 के ऐतिहासिक प्रक्षेपण के दौरान सुना गया था.
31 जुलाई, 1959 को तमिलनाडु में जन्मी वलारमथी ने निर्मला गर्ल्स हायर सेकेंडरी स्कूल में पढ़ाई की और कोयंबटूर के गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग की.
उन्होंने 1984 में इसरो के साथ अपने करियर की शुरुआत की. उन्होंने मिशनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और विशेष रूप से RISAT-1 के लिए परियोजना निदेशक के रूप में कार्य किया. वह अब्दुल कलाम पुरस्कार पाने वाली पहली व्यक्ति भी थीं.
इसरो के पूर्व निदेशक डॉ. पी वी वेंकटकृष्णन ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करने के लिए एक्स (पहले ट्विटर के नाम से जाना जाता था) का सहारा लिया.
उन्होंने लिखा, “श्रीहरिकोटा से इसरो के भविष्य के मिशनों की उलटी गिनती के लिए वलार्मथी मैडम की आवाज नहीं होगी. चंद्रयान 3 उनकी अंतिम उलटी गिनती की घोषणा थी. एक अप्रत्याशित निधन. बहुत दुख हो रहा है.प्रणाम!.”