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कानपुर एनकाउंटर मामला: गैंस्टर विकास दुबे के सबसे करीबी अमर दुबे का हुआ एनकाउंटर, इसी 29 जून को हुई थी शादी

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कानपुर एनकाउंटर में बुधवार को हमीरपुर में उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स (STF) के साथ हुई मुठभेड़ में हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे का करीबी सहयोगी अमर दुबे मारा गया। अमर दुबे कानपुर एनकाउंटर केस में भी एक आरोपी था, जिसमें विकास दुबे गैंग के आठ जवान मारे गए थे।

SP हमीरपुर, श्लोक कुमार, ने कहा कि, ‘अमर दुबे के यहां होने की सूचना मिली थी, घेराबंदी में उसने पुलिस पर फायरिंग की जिसमें SHO मौदहा, एक STF कांस्टेबल को गोली लगी। जवाबी कार्रवाई में ये घायल हुआ और इसे अस्पताल भेजा गया,जहां इसे मृत घोषित किया गया। इसके पास से एक ऑटोमेटिक हथियार और एक बैग मिला है.’

एनकाउंटर में मारे गए अमर दुबे की इसी 29 जून को शादी हुई थी. अमर दुबे, विकास के चचेरे भाई संजय दुबे का बेटा है. अमर के सगे चाचा अतुल और विकास दुबे के मामा प्रेम प्रकाश का 3 जुलाई को पुलिस ने बिकरू गांव के पास एनकाउंटर किया था. अमर अपने चाचा अतुल दुबे के साथ विकास दुबे का मुख्य शूटर था.

उत्तर प्रदेश पुलिस ने मंगलवार को कहा था कि 40 टीमें और एसटीएफ खूंखार गैंगस्टर विकास दुबे की तलाश कर रही है। राज्य के पुलिस प्रमुख ने कहा कि जब तक दुबे को गिरफ्तार नहीं किया जाता, तब तक पुलिस बल शांत नहीं बैठेगा।

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ऐसे हुआ एनकाउंटर

हमीरपुर के एसपी श्लोक कुमार का कहना है कि अमर दुबे की छिपे होने की सूचना पर पुलिस टीम ने घेराबंदी की थी. इस दौरान अमर ने फायरिंग शुरू कर दी. जवाबी एनकाउंटर में वह मार गिराया गया. उसके पास से एक ऑटोमेटिक हथियार और बैग मिला है. इस एनकाउंटर में एसओ और एसटीएफ के एक कॉन्स्टेबल को गोली लगी है.

इस बीच एसटीएफ विकास दुबे को तो नहीं पकड़ पाई लेकिन उसने प्रभात और अंकुर नाम के उसके दो करीबियों को गिरफ्तार कर लिया है. अंकुर के बारे में बताया जाता है कि उसी ने फरीदाबाद में विकास दुबे के छिपने में मदद की थी. वो विकास दुबे के लिए होटल बुक करने की कोशिश कर रहा था.

विकास दुबे का अपराधिक इतिहास

कुख्यात अपराधियों में शुमार विकास दुबे का अपराध सफर 1990 से शुरू हुआ था। आपको बता दें कि, अपराधी विकास बिकरु गांव निवासी है। बताया जा रहा है कि, विकास ने पिता के अपमान का बदला लेने के लिए नवादा गांव के किसानों को वर्ष 1990 में पीटा था। ओर यही से विकास दुबे के खिलाफ शिवली थाने में पहला मामला दर्ज हुआ था।

2000 में विकास ने शिवली इलाके के ताराचंद इंटर कॉलेज के सहायक प्रबंधक सिद्धेश्वर पांडेय की हत्या कर दी थी, जिसमें उसे उम्रकैद की सजा भी हुई थी

यह वही बदमाश है जिसने 19 साल पहले 2001 में थाने में घुसकर राज्यमंत्री संतोष शुक्ला की हत्या कर दी थी। उसका इतना खौफ था कि उसके खिलाफ कोई गवाह सामने नहीं आया। इसके कारण वह केस से बरी हो गया।

इसके बाद उसने राजनीति में एंट्री ली। नगर पंचायत का चुनाव भी जीता था। हिस्ट्रीशीटर विकास कानपुर देहात के चौबेपुर थाना क्षेत्र के विकरू गांव का रहने वाला है। वह कानपुर नगर से लेकर कानपुर देहात तक लूट, डकैती, मर्डर जैसे अपराधों को अंजाम देता रहा है।

विकास ने अपने अपराधों के दम पर पंचायत और निकाय चुनावों में कई नेताओं के लिए काम किया और उसके संबंध प्रदेश की सभी प्रमुख पार्टियों से हो गए।2002 में जब प्रदेश में बसपा की सरकार थी तो इसका सिक्का बिल्हौर, शिवराजपुर, रिनयां, चौबेपुर के साथ ही कानपुर नगर में चलता था।

2018 में विकास दुबे ने अपने चचेरे भाई अनुराग पर जानलेवा हमला किया था। तब अनुराग की पत्नी ने विकास समेत चार लोगों को नामजद किया था जानकारी के अनुसार, इस समय विकास दुबे के खिलाफ 60 मामले यूपी के कई जिलों में चल रहे हैं। हत्या और हत्या की कोशिश के मामले पर पुलिस को इसकी तलाश थी।

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