भारत ने अपने दूसरे चंद्र मिशन चंद्रयान 2 के साथ इतिहास लिखने जा रहा है. चंद्रयान 2, 7 सितंबर की रात करीब 1:30 से 2:30 बजे के बीच चंद्रमा पर उतरने के लिए बिल्कुल तैयार है।
चंद्रयान 2 का लक्ष्य दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र पर उतरने के बाद चंद्रमा के अंधेरे पक्ष का पता लगाना है। इस मिशन के साथ, भारत चंद्रमा के इस पक्ष का पता लगाने वाला पहला देश बन जायेगा।
यदि मिशन अपने इच्छित लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है तो यह भारत और दुनिया को मानव ज्ञान के क्षितिज को व्यापक बनाने में मदद करेगा। भारत के लिए ये पल इतना महत्वपूर्ण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद चंद्रयान की लाइव लैडिंग देखने के लिए इसरो में मौजूद रहेंगे।
भारत ने 3,84,400 किलोमीटर (2,40,000 मील) की यात्रा के लिए ‘चंद्रयान 2’ को तैयार करने में 960 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. चंद्रयान -2 को जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल एमके- III, या जीएसएलवी एमके- III, रॉकेट पर लॉन्च किया जाएगा.
क्या है लक्ष्य ?
इस मिशन का लक्ष्य है कि चंद्रमा की सतह में मौजूद तत्वों का अध्ययन कर यह पता लगाया जा सके कि उसके चट्टान और मिट्टी किन तत्त्वों से बनी है. इसके साथ ही यह पता लगाया जा सके कि वहां मौजूद खाइयों और चोटियों की संरचना का आधार क्या है.
इसके द्वारा पहली बार चंद्रमा पर एक ऑर्बिटर यान, एक लैंडर और एक रोवर ले जाया जाएगा. ऑर्बिटर जहां चंद्रमा के चारों ओर परिक्रमा करेगा, वहीं लैंडर चंद्रमा के एक निर्दिष्ट स्थान पर उतरकर रोवर को तैनात करेगा.
इस मिशन से पृथ्वी के एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह चंद्रमा के रहस्यों को जानने में न सिर्फ भारत को मदद मिली बल्कि दुनिया के वैज्ञानिकों के ज्ञान में भी विस्तार हुआ.
#WATCH the launching (July 22, 2019) of Chandrayaan 2 here:
#ISRO
Here’s a view of the majestic lift-off of #GSLVMkIII-M1 carrying #Chandrayaan2 pic.twitter.com/z1ZTrSnAfH— ISRO (@isro) July 22, 2019
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चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 में क्या है अंतर?
दोनों में महत्वपूर्ण अंतर यह है कि चंद्रयान-1 चांद के ऊपर सिर्फ ऑर्बिट करता था लेकिन चंद्रयान-2 में एक पार्ट चांद पर लैंड करेगा. चंद्रयान-1 के समान ही चंद्रयान-2 भी चंद्रमा से 100 किलोमीटर दूर रहकर उसकी परिक्रमा करेगा. लैंडर कुछ समय बाद मुख्य यान से अलग होकर चंद्रमा की सतह पर धीरे से उतरेगा और सब कुछ ठीक रहने पर उसमें रखा रोवर बाहर निकलकर लैंडर के आस-पास घूमता हुआ तस्वीरें लेगा.
जहां चंद्रयान-1 का प्रक्षेपण जीएसएलवी मार्क-2 से किया गया था, वहीं चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण जीएसएलवी मार्क-3 से होगा.
22 अक्तूबर, 2008 को पहले चंद्र मिशन के तहत भारत ने चंद्रयान-1 को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया था. 22 अक्तूबर, 2018 को पहले चंद्र मिशन के दस साल पूरे हो चुके हैं.
अमेरिका ने अपने 15 अपोलो मिशनों पर 25 अरब अमेरिकी डॉलर खर्च किए हैं, जो आज के मूल्यों के लिहाज से लगभग 100 अरब डॉलर होते हैं. इन मिशनों में वे छह मिशन भी शामिल हैं, जिनके जरिये नील आर्मस्ट्रॉन्ग तथा अन्य अंतरिक्षयात्रियों को चंद्रमा पर उतारा गया.
चीन ने चंद्रमा पर भेजे जाने वाले अपने चैंगे 4 यान पर 8.4 अरब अमेरिकी डॉलर खर्च किए हैं. इनके अलावा 1960 और 1970 के दशक में चलाए गए चंद्रमा से जुड़े अभियानों पर आज के मूल्यों के लिहाज से 20 अरब डॉलर से ज्यादा खर्च किए.
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