भारतीय सेना के शस्त्र बेड़े में शामिल होने की कतार में लगी स्वदेशी एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल ‘नाग’ के राजस्थान के पोकरण में रविवार को के तीन सफल परीक्षण कर लिए हैं. इसकी क्षमता का सही अनुमान लगाने के लिए इसका परीक्षण दिन और रात, दोनों ही समय पर किया गया.
बताया जा रहा है कि रविवार को किए गए परीक्षण के दौरान थर्ड जेनरेशन गाइडेड एंटी-टैंक मिसाइल ‘नाग’ ने अपने सभी टारगेट पर अचूक निशाना साधा, जिसके बाद भारतीय सेना के शस्त्र बेड़े में शामिल करने के लिए इसे तैयार मन जा रहा है.
साल 2017 और 2018 में नाग एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल के दो सफल परीक्षण किए जा चुके हैं. 2018 में इसका विंटर यूजर ट्रायल (सर्दियों में प्रयोग) किया गया था. बताया जा रहा है की अब तक ट्रायल के लिए रखी गयी इस मिसाइल का उत्पादन इस साल के अंत तक शुरू किया जा सकता है.
नाग का निर्माण भारत में मिसाइल बनाने वाली अकेली सरकारी कंपनी भारत डायनामिक्स लिमिटेड (हैदराबाद) करेगी. भारतीय सेना 8 हजार नाग मिसाइल खरीद सकती है, जिसमें शुरुआती दौर में 500 मिसाइलों के आर्डर दिए जाने की संभावना है.
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बता दें कि ‘नाग’ के परीक्षण में अब तक 350 करोड़ की लागत आ चुकी है. 230 किलोमीटर की रेंज रखने वाली यह मिसाइल दिन के उजाले के साथ-साथ रात के अंधेरे में भी अपने टारगेट को बिना चूके भेद सकती है.
इसका कुल वजन मात्र 42 किलो है. यह वज़न में इतनी हलकी है कि इसे आसानी से एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है, जिसके कारण सेना के ऑपरेशन में यह बेहद कारगर साबित हो सकती है.