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लोकसभा में पेश हुआ वक्फ बोर्ड से जुड़े विधयक, विपक्षी दलों ने मचाया हंगामा

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लोकसभा में पेश हुआ वक्फ बोर्ड से जुड़े विधयक, विपक्षी दलों ने मचाया हंगामा

 

केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने आज लोकसभा में वक्फ संशोधन बिल पेश किया। लोकसभा में बिल के पेश होने के बाद से हंगामा शुरू हो गया। इस बिल का कांग्रेस, सपा, NCP (शरद पवार), AIMIM, TMC, CPI (M), IUML, DMK, RSP ने विरोध किया। वक्फ बोर्ड को मिली असीमित शक्तियों पर अंकुश लगाने और बेहतर प्रबंधन व पारदर्शिता के लिए सरकार ने लोकसभा में गुरुवार को विधेयक पेश किया।

 

किरेन रिजीजू ने वक्फ संशोधन विधेयक पर कहा कि इस विधेयक से संविधान का उल्लंघन नहीं हो रहा है। जिन्हें हक नहीं मिला उन्हें हक देने के लिए यह कदम उठाया जा रहा है। किसी धर्म में दखल नहीं दिया जा रहा है। विपक्ष की सारी आशंकाएं दूर की जाएंगी। इस विधेयक का समर्थन करिए करोड़ों लोगों की दुआएं मिलेंगी।

विधेयक का विरोध करते हुए अखिलेश ने कहा कि सरकार लोकसभा के अध्यक्ष के अधिकार में भी कटौती करने की तैयारी कर रही है। हमें और पूरे विपक्ष को आपके लिए लड़ना होगा। इस पर अमित शाह ने नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव आसन का अपमान कर रहे हैं। आसन के अधिकार सदन के अधिकार हैं। इसके बाद ओम बिरला ने सदन के सदस्यों से आसन पर टिप्पणी नहीं करने की अपील की।

वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 का विरोध करते हुए लोकसभा में NCP-SCP सांसद सुप्रिया सुले ने कहा, “मैं सरकार से अनुरोध करती हूं कि या तो इस विधेयक को पूरी तरह से वापस ले या इसे स्थायी समिति को भेज दें… कृपया परामर्श के बिना एजेंडा आगे न बढ़ाएं…”

कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल राव ने कहा- सरकार कम्युनिटीज के बीच में विवाद पैदा करना चाहती है। AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, इस बिल को लाकर आप (केंद्र सरकार) देश को जोड़ने का नहीं बल्कि बांटने का काम कर रहे हैं। यह विधेयक इस बात का सबूत है कि आप मुसलमानों के दुश्मन हैं।

गौरतलब है कि वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन बिल पास होने के बाद वक्फ बोर्ड किसी भी संपत्ति को अपना नहीं बता सकेगा। अभी वक्फ के पास किसी भी जमीन को अपनी संपत्ति घोषित करने की शक्ति है। जमीन पर दावे से पहले उसका वेरिफिकेशन करना होगा। इससे बोर्ड की मनमानी पर रोक लगेगी।

बोर्ड के पुनर्गठन से बोर्ड में सभी वर्गों समेत महिलाओं की भागीदारी भी बढ़ेगी। मुस्लिम बुद्धिजीवी, महिलाएं और शिया और बोहरा जैसे समूह लंबे समय से मौजूदा कानूनों में बदलाव की मांग कर रहे हैं।

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