मोदी सरकार ने अपने पिछले पांच साल के कार्यकाल में पारित किए यह मुख्य बिल
मोदी सरकार सरकार का दूसरा कार्यकाल अब समाप्त होने को है। अगले कुछ दिनों में लोकसभा चुनाव होने हैं देश में अचार सहिंता लागू हो चुकी है। अप्रैल माह तक केंद्र की सत्ता पर किसकी सरकार काबिज होनी है, इसका चुनाव हो जाएगा। अब आने वाले दिनों में किसकी पार्टी का परचम लहराता है यह तो वक्त बताएगा। लेकिन पक्ष और विपक्ष दोनों ही जनता से लोक-लुभावन वादे कर अपनी-अपनी पार्टी के लिए वोट बटोरने में पूर्ण जोर तरीके से जुटे हुए हैं।
पक्ष और विपक्ष दोनों ही एक बाद एक ताबड़तोड़ रैलियां व सभाएं कर अपनी अपनी दुर्विरोधी पार्टियों के शासन काल की कमिया तथा खामियां गिनाने में लगी हुई है। इसी के साथ एक तरफ विपक्ष जनता से उन कामों का वादा कर रहा हैं जिन्हें वह सरकार में आने के बाद पूरा करेगा। वहीं दूसरी तरफ भाजपा उन सभी कामों तथा कानूनों/ बिलों का ब्यौरा जनता को दे रही हैं जो उनके कार्यकाल में पूरे हुए व पारित हुए हैं।
ऐसे में आईये जानते हैं उन प्रमुख कानूनों/बिलों को जिन्हें भाजपा ने अपने पिछले पांच साल के कार्यकाल में पारित किए हैं।
नागरिकता संशोधन कानून 2024 (CAA) – सीएए को संसद के दोनों सदनों से पास कराए जाने के बाद 12 दिसंबर 2019 को ही इसपर राष्ट्रपति की मुहर लग गई थी और यह कानून बन गया था। इसके बाद केंद्र सरकार ने 11 मार्च 2024 को नागरिकता संशोधन कानून 2024 (CAA) के लिए अधिसूचना जारी की थी। जिसके बाद यह पूरे देशभर में लागू हो गया है। बता दें कि इस कानून के तहत 31 दिसंबर 2014 से पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को नागरिकता दी जाएगी।
सूचना का अधिकार (संशोधन) बिल, 2019- लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री जीतेंद्र सिंह ने 19 जुलाई, 2019 को लोकसभा में सूचना का अधिकार (संशोधन) बिल, 2019 पेश किया। यह बिल सूचना का अधिकार एक्ट, 2005 में संशोधन करता है।
2019 इस कानून के तहत केंद्र सरकार अब आरटीआई अधिनियम, 2005 की धारा 13 में संशोधन करके केंद्रीय मुख्य सूचना आयुक्त (सीआईसी) और सूचना आयुक्तों (आईसी) का कार्यकाल निर्धारित करेगी, जो पहले पांच साल तय किया गया था। (या 65 वर्ष की आयु तक) , इनमें से जो भी पहले आता हो)।
केंद्र सरकार अब केंद्रीय मुख्य सूचना आयुक्त (सीआईसी) और सूचना आयुक्तों (आईसी) के वेतन और भत्ते का निर्धारण करेगी, जो पहले मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) और चुनाव आयुक्तों (ईसी) के बराबर थे। मुख्य सूचना आयुक्त, साथ ही राज्य-स्तरीय सूचना आयुक्तों को धारा 16 में संबोधित किया गया है।
जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन विधेयक, 2019: गृह मंत्री अमित शाह ने 5 अगस्त, 2019 को जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन विधेयक पेश किया था और अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की घोषणा की। इस कानून ने जम्मू और कश्मीर को दो भागों में विभाजित कर दिया। केंद्र शासित प्रदेश जम्मू -कश्मीर और लद्दाख। इस अधिनियम ने अनुच्छेद 370 को भी निरस्त कर दिया, जिसने जम्मू और कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा दिया था। लेह और कारगिल जिले, जो पहले जम्मू-कश्मीर राज्य का हिस्सा थे, उन्हें केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में शामिल कर दिया गया है। जम्मू और कश्मीर में पांच लोकसभा सीटें केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर द्वारा बरकरार रखी गईं, जबकि एक को केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में स्थानांतरित कर दी गयी है।
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक 2023- 11 अगस्त को राष्ट्रपति ने विवादास्पद दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सरकार संशोधन विधेयक यानी द गवर्नर ऑफ नेशनल कैपिटल टेरिटरी ऑफ़ दिल्ली अमेंडमेंट बिल 2023 को मंजूरी दे दी है यह सर्विसेज पर दिल्ली सरकार की शक्तियों को कमजोर करता है 1991 के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार अधिनियम में अमेंडमेंट करता है या दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर पोस्टिंग और नियंत्रण के मामले में दिल्ली के उपराज्यपाल यानी एलजी को दिल्ली सरकार से ज्यादा शक्तियां देता है।
संविधान (एक सौ चौबीसवां संशोधन) विधेयक, 2019 (ईडब्ल्यूएस आरक्षण) -यह बिल आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण देता है। भारत में पहले से ही एससी, एसटी और ओबीसी के लिए नौकरी और शिक्षा कोटा है, लेकिन यह पहली बार है कि आरक्षण पूरी तरह से आर्थिक स्थिति के आधार पर प्रस्तावित किया जा रहा है, जहां जाति और धर्म मानदंड नहीं होंगे।