Hindi Newsportal

फैक्ट चेक: वायरल रबीन्द्रनाथ टैगोर की टूटी हुई प्रतिमा की तस्वीर हालिया दिनों की नहीं, जानें पूरा सच

0 384

फैक्ट चेक: वायरल रबीन्द्रनाथ टैगोर की टूटी हुई प्रतिमा की तस्वीर हालिया दिनों की नहीं, जानें पूरा सच

सोशल मीडिया पर एक पोस्ट तेजी से शेयर की जा रही है। जिसमें भारतीय साहित्य के नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर की प्रतिमा से टूटा हुआ उनका सर जमीन पर पड़ा हुआ दिखाई दे रहा है। इसी तस्वीर को हालिया दिनों में बांग्लादेश के मौजूदा हालातों से जोड़ कर शेयर किया जा रहा है।

फेसबुक वायरल वायरल पोस्ट को शेयर कर हिंदी भाषा के कैप्शन में लिखा गया है कि “1906 में आमार सोनार बंग्ला (बंग्लादेश का राष्ट्रगान) लिखने वाले रविन्द्र नाथ टैगोर की प्रतिमा भी नही छोड़ी।”

फेसबुक के वायरल पोस्ट का आर्काइव लिंक यहाँ देखें।

फैक्ट चेक: 

न्यूज़मोबाइल की पड़ताल के हमने जाना कि वायरल तस्वीर हालिया दिनों का नहीं है। 

सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीर की सच्चाई जानने के लिए हमने गूगल पर पड़ताल की। सबसे पहले हमने गूगल पर वायरल तस्वीर को रिवर्स इमेज सर्च टूल के माध्यम से खोजना शुरू किया। खोज के दौरान हमें वायरल तस्वीर Loktej नामक वेबसाइट पर मिली। जिसे फरवरी 19, 2023 को प्रकाशित एक लेख में अपलोड किया गया था।

लेख के मुताबिक वायरल तस्वीर लेख के मुताबिक बांग्लादेश के ढाका विश्वविद्यालय के छात्र संघ के नेता शिमुल कुंभकार ने बताया कि मीडिया को जानकारी दी थी कि ढाका विश्वविद्यालय के परिसर से हटाई गई नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर की मूर्ति का खंडित सिर कुछ राहगीरों को यहां चल रहे ‘अमर एकुशे’ पुस्तक मेले के परिसर में मिला था। लेख में आगे बताया गया है कि ढाका विश्वविद्यालय के छात्रों ने फरवरी 2023 में पुस्तक सेंसरशिप के विरोध में यूनिवर्सिटी में रवींद्रनाथ टैगोर की प्रतीकात्मक मूर्ति स्थापित की थी, जिसे विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने अनधिकृत स्थान और सौंदर्य संबंधी चिंताओं का हवाला देते हुए हटा दिया था।

उपरोक्त प्राप्त लेख में दी गयी जानकारी की पुष्टि के लिए हमने गूगल पर बारीकी से खोजना शुरू किया। खोज के दौरान हमें वायरल तस्वीर Hindustan Times bangla की वेबसाइट पर फरवरी 19, 2023 को प्रकाशित लेख में मिली। यहाँ भी बांग्ला भाषा में उपरोक्त लेख की जानकारी की पुष्टि की गयी।

 

पड़ताल के दौरान हमने जाना कि वायरल तस्वीर हालिया दिनों की नहीं बल्कि साल 2023 के दौरान की है। लेख में आगे बताया गया है कि ढाका विश्वविद्यालय के छात्रों ने फरवरी 2023 में पुस्तक सेंसरशिप के विरोध में यूनिवर्सिटी में रवींद्रनाथ टैगोर की प्रतीकात्मक मूर्ति स्थापित की थी, जिसे विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने अनधिकृत स्थान और सौंदर्य संबंधी चिंताओं का हवाला देते हुए हटा दिया था।

You might also like

Leave A Reply

Your email address will not be published.