प्रदर्शनरत पहलवानों को मिला एक और समर्थन, सपोर्ट में उतरी 1983 क्रिकेट विश्व कप विजेता टीम, कहा ‘जल्दबाजी में न लें कोई निर्णय’
दिल्ली के जंतर-मंतर पर भारतीय कुश्ती संघ के प्रमुख बृज भूषणशरण सिंह के खिलाफ धरने पर बैठे पहलवानों को शुक्रवार को एक बड़ा समर्थन मिला है। साल 1983 में क्रिकेट विश्व कप जीतने वाली टीम के सदस्यों ने शुक्रवार को पहलवानों के समर्थन में बयान जारी किया है। पहलवानों से उनके पदकों को गंगा में प्रवाहित करने के मामले में टीम ने उनसे जल्दबाजी में फैसला नहीं लेने का आग्रह किया।
1983 क्रिकेट विश्व कप विजेता टीम ने पहलवानों के विरोध पर बयान जारी किया – "हम अपने चैंपियन पहलवानों के साथ मारपीट के अशोभनीय दृश्यों से व्यथित और परेशान हैं। हमें सबसे अधिक चिंता इस बात की भी है कि वे अपनी मेहनत की कमाई को गंगा नदी में बहाने की सोच रहे हैं। उन पदकों में वर्षों का… pic.twitter.com/gqiTvVtluO
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 2, 2023
टीम ने बयान जारी करते हुए कहा कि हम जर्मनी से बच्ची (अरिहा शाह) को भारत वापस करने का अनुरोध कर रहे हैं। वह एक भारतीय नागरिक है और उसे 2021 में जर्मनी के युवा कल्याण की हिरासत में रखा गया था जब वह 7 महीने की थी। अब वह पिछले 20 महीनों से फॉस्टर होम में है…हम जर्मन अधिकारियों से अरिहा को जल्द से जल्द भारत भेजने के लिए हर संभव प्रयास करने का आग्रह कर रहे हैं। हम अरिहा शाह की भारत वापसी सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
गौरतलब है कि भाजपा सांसद और भारतीय कुश्ती संघ के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह पर महिला पहलवानों ने यौन शोषण का आरोप लगाया है। इसके विरोध में दिल्ली के जंतर-मंतर पर 18 जनवरी से बजरंग पुनिया, विनेश फोगाट और साक्षी मलिक सहित अन्य पहलवान धरने पर बैठे थे। वहीं, 28 मई को नई संसद की तरफ मार्च करने के दौरान दिल्ली पुलिस के साथ इनकी झड़प हुई। इसके बाद उन्हें हिरासत में लिया गया और बाद छोड़ भी दिया गया था, जिसके बाद पहलवान अपने मेडल गंगा में प्रवाहित करने के लिए उत्तराखंड पहुंचे थे।
हालांकि मौके पर किसान नेता नरेश टिकैत ने पहुंच कर पहलवानों से उनके मेडलों को गंगा में प्रवाहित करने से रोक लिया और उनसे पांच दिन का समय मांगा है।