पटना/इम्फाल: जनता दल यूनाइटेड (जदयू) ने मणिपुर में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इस फैसले को भाजपा के खिलाफ उनके तीखे रुख के रूप में देखा जा रहा है। जदयू ने इस कदम के साथ यह स्पष्ट कर दिया है कि पार्टी अब भाजपा के साथ किसी भी तरह का संबंध नहीं रखना चाहती।
जदयू का बड़ा फैसला
जदयू के वरिष्ठ नेताओं ने एक आधिकारिक बयान जारी कर कहा कि पार्टी ने मणिपुर में भाजपा सरकार का समर्थन समाप्त करने का निर्णय लिया है। जदयू के पांच विधायकों में से चार पहले ही भाजपा में शामिल हो चुके थे, जिससे यह गठबंधन प्रभावी रूप से कमजोर हो गया था।
नीतीश कुमार का भाजपा पर हमला
नीतीश कुमार ने इस फैसले के पीछे भाजपा के कामकाज और उसके गठबंधन धर्म का पालन न करने को कारण बताया। उन्होंने कहा कि भाजपा ने मणिपुर में जदयू विधायकों को तोड़कर पार्टी के अस्तित्व पर हमला किया है।
राजनीतिक समीकरण बदलने की संभावना
नीतीश कुमार के इस कदम के बाद मणिपुर में भाजपा सरकार पर फिलहाल कोई सीधा प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि भाजपा के पास पहले से ही पर्याप्त बहुमत है। हालांकि, इस कदम को भाजपा के खिलाफ विपक्ष को मजबूत करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।
राष्ट्रीय राजनीति पर असर
नीतीश कुमार का यह कदम राष्ट्रीय राजनीति में विपक्षी दलों को एकजुट करने की उनकी कोशिशों का हिस्सा माना जा रहा है। जदयू ने 2022 में बिहार में भाजपा से अलग होकर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के साथ गठबंधन किया था। तब से नीतीश कुमार लगातार विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने का प्रयास कर रहे हैं।
जदयू का भाजपा से संबंध खत्म
मणिपुर के घटनाक्रम ने एक बार फिर जदयू और भाजपा के बीच बढ़ते टकराव को उजागर किया है। जदयू प्रवक्ता ने कहा, “हम भाजपा की विभाजनकारी राजनीति के साथ नहीं चल सकते। हमारा उद्देश्य जनता की सेवा करना है, न कि सत्ता के लिए समझौता करना।”