नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने वित्तीय धोखाधड़ी को रोकने के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। आरबीआई ने बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों को निर्देश दिया है कि वे ग्राहकों को केवल निर्धारित दो नंबरों से ही कॉल करें। यह कदम ऑनलाइन और फोन बैंकिंग से जुड़े बढ़ते फ्रॉड मामलों को देखते हुए उठाया गया है।
क्या हैं आरबीआई के दिशा-निर्देश?
आरबीआई ने बैंकों को निर्देशित किया है कि वे ग्राहकों से संवाद के लिए केवल दो अधिकृत नंबरों का उपयोग करें। ये नंबर टोल-फ्री होंगे और इन्हें आसानी से पहचानने के लिए पंजीकृत किया जाएगा। इन नंबरों का उद्देश्य ग्राहकों को यह सुनिश्चित करना है कि कॉल बैंक की ओर से ही आ रही है, किसी फर्जी या अनधिकृत स्रोत से नहीं।
ग्राहकों की सुरक्षा पर फोकस
आरबीआई ने स्पष्ट किया कि ये दिशा-निर्देश ग्राहकों की वित्तीय जानकारी और उनकी गोपनीयता को सुरक्षित रखने के लिए बनाए गए हैं। इस पहल का मुख्य उद्देश्य है:
- वित्तीय धोखाधड़ी को रोकना: ग्राहकों को फर्जी कॉल्स और स्कैम्स से बचाना।
- ग्राहकों की जागरूकता बढ़ाना: बैंक ग्राहकों को इन अधिकृत नंबरों के बारे में जानकारी देंगे।
- डिजिटल लेनदेन को सुरक्षित बनाना: फोन बैंकिंग और ऑनलाइन ट्रांजेक्शन में पारदर्शिता लाना।
बढ़ते फ्रॉड के मामले
हाल के वर्षों में फिशिंग कॉल्स और बैंक फ्रॉड के मामलों में वृद्धि हुई है। ठग ग्राहकों को बैंक अधिकारी बनकर कॉल करते हैं और उनकी गोपनीय जानकारी, जैसे ओटीपी, कार्ड नंबर और पिन आदि, हासिल कर लेते हैं। आरबीआई के इस कदम से इन घटनाओं में कमी आने की उम्मीद है।
आरबीआई की सलाह
- ग्राहकों को अनजान नंबर से आए कॉल्स पर कोई जानकारी साझा नहीं करनी चाहिए।
- बैंकिंग कॉल्स के लिए केवल अधिकृत नंबरों पर भरोसा करें।
- किसी भी संदिग्ध कॉल या ट्रांजेक्शन की जानकारी तुरंत बैंक और साइबर सेल को दें।
बैंकों की जिम्मेदारी
आरबीआई ने बैंकों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि वे ग्राहकों को इस पहल के बारे में व्यापक जानकारी दें। इसके लिए बैंकों को एसएमएस, ईमेल और सोशल मीडिया के माध्यम से जागरूकता अभियान चलाने का निर्देश दिया गया है।