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खय्याम साहब के निधन पर बॉलीवुड में शोक की लहर, पीएम मोदी ने भी किया याद

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मोहम्मद जहूर खय्याम का 92 साल की उम्र में सोमवार को मुंबई के अस्पताल में निधन हो गया. उनके यूं चले जाने से हिंदी सिनेमा शोक की लहर में डूबा हुआ है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित सुरों की मल्लिका लता मंगेशकर, फिल्मकार मुजफ्फर अली समेत कई अन्य सितारों ने उनके निधन पर शोक जताया है.

सीने के संक्रमण और निमोनिया की दिक्कत के बाद उन्हें 28 जुलाई को मुंबई के सुजय अस्पताल में भर्ती कराया गया था.

20 अगस्त को मुंबई के दक्षिण पार्क, जुहू के जेवीपीडी सर्कल में उन्हें अंतिम विदाई दी जाएगी.

‘कभी कभी’ और ‘उमराव जान’ जैसी फिल्मों के लिए फिल्मफेयर अवॉर्ड पा चुके ख़य्याम ने अपने करियर की शुरुआत 1947 में की थी. ‘वो सुबह कभी तो आएगी’, ‘जाने क्या ढूंढती रहती हैं ये आंखें मुझमें’, ‘बुझा दिए हैं खुद अपने हाथों, ‘ठहरिए होश में आ लूं’, ‘तुम अपना रंजो गम अपनी परेशानी मुझे दे दो’, ‘शामे गम की कसम’, ‘बहारों मेरा जीवन भी संवारो’ जैसे अनेकों गीत में अपने संगीत से चार चांद लगा चुके हैं ख़य्याम.

प्रधानमंत्री मोदी ने उनके निधन पर ट्वीट कर शोक जताया. उन्होंने लिखा,”सुप्रसिद्ध संगीतकार खय्याम साहब के निधन से अत्यंत दुख हुआ है. उन्होंने अपनी यादगार धुनों से अनगिनत गीतों को अमर बना दिया. उनके अप्रतिम योगदान के लिए फिल्म और कला जगत हमेशा उनका ऋणी रहेगा. दुख की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके चाहने वालों के साथ हैं.”

खय्याम के निधन के बाद बॉलीवुड के तमाम सितारों ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए शोक जताया है.

ख़य्याम ने पहली बार फिल्म ‘हीर रांझा’ में संगीत दिया लेकिन मोहम्मद रफ़ी के गीत ‘अकेले में वह घबराते तो होंगे’ से उन्हें पहचान मिली. फिल्म ‘शोला और शबनम’ ने उन्हें संगीतकार के रूप में स्थापित कर दिया. ख़य्याम की पत्नी जगजीत कौर भी अच्छी गायिका हैं और उन्होंने ख़य्याम के साथ ‘बाज़ार’, ‘शगुन’ और ‘उमराव जान’ में काम भी किया है.

संगीत उस्ताद को संगीत और सिनेमा में उनके योगदान के लिए 2011 में तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान, पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था. उन्हें 2007 में भारत सरकार द्वारा स्थापित प्रदर्शन कला की राष्ट्रीय अकादमी संगीत नाटक अकादमी द्वारा क्रिएटिव संगीत में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था.