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विश्व बाघ दिवस आज, जाने क्यों और कब से मनाया जाता है यह दिन

फाइल फोटो
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विश्व बाघ दिवस आज, जाने क्यों और कब से मनाया जाता है यह दिन

पूरे विश्व में आज यानी 29 जुलाई को ‘अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस’ के तौर पर मनाया जाता है। इस साल हम 12वां विश्व या अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मना रहे हैं। जंगली बिल्लियों की पीढ़ी कहे जाने वाले बाघों के संरक्षण और उनकी विलुप्त हो रहीं प्रजातियों को बचाने के लिए लोगों में जागरूकता फैलाना ही इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य है।

साल 2010 में हुई थी इसकी शुरुआत 

बता दें इस दिवस की शुरुआत साल 2010 में हुई थी। साल 2010 में रूस के पीटर्सबर्ग में आयोजित इंटरनेशनल कांफ्रेंस में हर साल की 29 जुलाई को विश्व बाघ दिवस मनाने का फैसला लिया गया था। इस इंटरनेशनल समिट में बाघों की आबादी वाले 13 देशों ने हिस्सा लिया था। सभी ने बाघों की संख्या को 2022 तक दोगुना करने का लक्ष्य रखा था। भारत ने इस टारगेट को 2018 में ही हासिल कर लिया था। 2018 में भारत में बाघों की संख्या 2967 से ज्यादा हो चुकी थी। यहां ध्यान देने वाली बात है कि भारत इकलौता देश है, जिसने लक्ष्य से 4 साल पहले 2018 में ही प्राप्त कर लिया। 2018 में इंडिया में 2967 से ज्यादा हो चुकी है। 

सरकार ने बताया कि भारत में पिछले तीन साल में 329 बाघों की मौत शिकार, प्राकृतिक और अप्राकृतिक कारणों से हो गयी। उसने यह भी कहा कि इसी अवधि में शिकार, बिजली का करंट लगने, जहरीले पदार्थ का सेवन करने और ट्रेन हादसों की वजह से 307 हाथियों की मृत्यु हो गयी।  केंद्रीय पर्यावरण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार ने 26 जुलाई को लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।

भारत में बाघों की यह हैं प्रजातियां 

भारत में बाघों की आठ प्रजातियां हुआ करती थीं पर अब सिर्फ 5 प्रजातियां ही पाई जाती हैं। अब साइबेरियाई बाघ, बंगाल बाघ, इंडोचाइनीज बाघ, मलय बाघ और दक्षिण चीन बाघ। बंगाल टाइगर मुख्य रूप से भारत में पाए जाते हैं, जिनकी आबादी बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, चीन और म्यांमार में भी कम है। यह बाघ की सभी उप-प्रजातियों में सबसे अधिक है, जिसमें 2,500 से अधिक जंगल में बचे हैं।