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जम्मू & कश्मीर: सख्ती के बीच दफनाये गये सैयद अली गिलानी, घाटी में इंटरनेट बंद; सुरक्षा के मद्देनज़र कर्फ्यू जैसे हालात

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जम्मू-कश्मीर में तीन दशकों से अधिक समय तक अलगाववादी आंदोलन का नेतृत्व करने वाले पाकिस्तान समर्थक सैयद अली शाह गिलानी को गुरुवार सुबह यानी आज सुबह 4:37 बजे श्रीनगर के हैदरपोरा इलाके में दफना दिया गया है। सबसे पहले बता दे कि गिलानी को शहर के बाहरी इलाके स्थित हैदरपोरा में उनकी पसंद की जगह पर दफनाया गया है। लेकिन इसी बीच एहतियात के तौर पर कश्मीर घाटी में मोबाइल इंटरनेट बंद कर दिया गया है। और तो और इसके साथ ही कर्फ्यू जैसी सख्ती लागू की गई है।

क्या कहना है पुलिस का ?

पुलिस का कहना है कि एहतियात के तौर पर कश्मीर में कर्फ्यू जैसे प्रतिबंध लगाए गए हैं। 91 वर्षीय अलगाववादी नेता दो दशकों से अधिक समय से गुर्दे की बीमारी से पीड़ित थे। इसके अलावा उन्हें डिमेंशिया सहित अन्य उम्र संबंधी समस्याएं थीं। उनके परिवार के एक सदस्य द्वारा मिली जानकारी के मुताबिक, गिलानी ने बुधवार रात 10.30 बजे अंतिम सांस ली।

सोपोर से तीन बार विधायक रहे गिलानी।

बता दे कि पूर्ववर्ती राज्य में सोपोर से तीन बार विधायक रहे गिलानी 2008 के अमरनाथ भूमि विवाद और 2010 में श्रीनगर में एक युवक की मौत के बाद हुए विरोध प्रदर्शनों का चेहरा बन गए थे। वह हुर्रियत कांफ्रेंस के संस्थापक सदस्य थे, लेकिन वह उससे अलग हो गए और उन्होंने 2000 की शुरुआत में तहरीक-ए-हुर्रियत का गठन किया था। आखिरकार उन्होंने जून 2020 में हुर्रियत कांफ्रेंस से भी विदाई ले ली थी।

इमरान खान समेत कइयों ने गिलानी के निधन पर शोक किया व्यक्त।

इधर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने गिलानी के निधन पर अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल के जरिए शोक व्यक्त किया है। जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट किया कि वह गिलानी के निधन की खबर से दुखी हैं। उन्होंने कहा, ‘हम भले ही ज्यादातर चीजों पर सहमत नहीं थे, लेकिन मैं उनकी दृढ़ता और उनके भरोसे पर अडिग रहने के लिए उनका सम्मान करती हूं।’

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