शनिवार रात नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर मची भगदड़ में 18 लोगों की मौत हो गई, जबकि 20 से अधिक लोग घायल हो गए। हादसा प्लेटफॉर्म नंबर 14-15 पर उस समय हुआ जब प्रयागराज जाने वाली ट्रेनों की देरी और अचानक एक विशेष ट्रेन की घोषणा के कारण हजारों की भीड़ बेकाबू हो गई। मृतकों में 11 महिलाएं और 3 बच्चे शामिल हैं।
शनिवार-रविवार की छुट्टी और महाकुंभ में शामिल होने के लिए प्रयागराज जाने वालों की भारी भीड़ पहले से ही स्टेशन पर मौजूद थी। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम न होने के कारण स्थिति तेजी से बिगड़ गई।
हादसे की तीन बड़ी वजहें:
1. लेट चल रही ट्रेनें: प्रयागराज एक्सप्रेस, स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस और भुवनेश्वर राजधानी एक्सप्रेस के देरी से चलने के कारण यात्रियों की भीड़ प्लेटफॉर्म 12, 13 और 14 पर जमा हो गई।
2. अचानक विशेष ट्रेन की घोषणा: रेलवे प्रशासन ने भीड़ को संभालने के लिए प्रयागराज के लिए एक विशेष ट्रेन की घोषणा की, जिससे यात्री घबराकर एक साथ प्लेटफॉर्म 14 की ओर भागने लगे।
3. सुरक्षा और प्रबंधन की कमी: स्टेशन पर भारी भीड़ के बावजूद पर्याप्त सुरक्षाबल नहीं थे, जिससे भगदड़ के हालात पैदा हो गए।
पटना के रहने वाले पप्पू ने बताया, “माँ मेरे साथ थीं, लेकिन भीड़ में फंस गईं। मैं उन्हें बचाने की कोशिश कर रहा था, लेकिन अचानक धक्का लगा और वह गिर गईं। मैं कुछ नहीं कर सका।”
बिहार के राजकुमार माझी, जो अपनी पत्नी, बेटी और बेटे के साथ नवादा जा रहे थे, ने बताया कि इस हादसे में उनकी पत्नी और बेटी की मौत हो गई, जबकि उनका बेटा लापता है।
एक अन्य यात्री ने कहा, “जैसे ही ट्रेन की घोषणा हुई, हजारों लोग एक साथ भागने लगे। प्लेटफॉर्म पर लोग एक-दूसरे को धक्का दे रहे थे। एस्केलेटर और सीढ़ियों पर कई लोग गिर गए।”
रेलवे प्रशासन का दावा है कि नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हर प्लेटफॉर्म की 24 घंटे सीसीटीवी कैमरों से निगरानी की जाती है। लेकिन इतनी बड़ी भीड़ को समय रहते क्यों नहीं संभाला गया?
सूत्रों के मुताबिक, रेलवे ने हर घंटे करीब 1500 जनरल टिकट बेचे, जिससे भीड़ बेकाबू हो गई। जब हालात बिगड़ने लगे, तब भी पर्याप्त सुरक्षाकर्मियों की तैनाती नहीं की गई।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने हादसे पर दुख जताते हुए कहा कि रेलवे की पूरी टीम प्रभावितों की मदद में जुटी है। उन्होंने उच्चस्तरीय जांच के आदेश जारी किए हैं। राहत और बचाव कार्य में एनडीआरएफ की टीम भी तैनात कर दी गई है।
हर साल स्टेशनों पर बढ़ती भीड़, सुरक्षा इंतजामों की कमी और अव्यवस्थित प्रशासन के कारण ऐसे हादसे होते रहते हैं। सवाल यह है कि क्या यह आखिरी हादसा होगा? क्या रेलवे प्रशासन भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए ठोस कदम उठाएगा?
शनिवार रात की इस भगदड़ ने कई परिवारों को उजाड़ दिया। किसी का बेटा खो गया, किसी की मां चली गई, किसी ने अपनी पूरी दुनिया लुटा दी। अब बस इंतजार है—एक ठोस समाधान का, ताकि फिर कोई परिवार यूं ही भीड़ में बिछड़ न जाए।
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