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पद्म विभूषण वैज्ञानिक एमआर श्रीनिवासन का 95 वर्ष की आयु में निधन

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भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के अग्रणी और पूर्व परमाणु ऊर्जा आयोग अध्यक्ष डॉ. एमआर श्रीनिवासन का मंगलवार को 95 वर्ष की आयु में निधन हो गया। श्रीनिवासन ने देश में परमाणु ऊर्जा के विकास में अहम भूमिका निभाई थी। उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।

उनके निधन पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और महासचिव जयराम रमेश समेत कई नेताओं ने शोक व्यक्त किया है। खरगे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, “डॉ. एमआर श्रीनिवासन का निधन भारत के वैज्ञानिक समुदाय के लिए एक बड़ी क्षति है। एक अग्रणी परमाणु वैज्ञानिक के रूप में उन्होंने भारत की ऊर्जा क्षमता को मजबूत करने में योगदान दिया।”


खरगे ने बताया कि श्रीनिवासन के नेतृत्व में भारत में 18 परमाणु ऊर्जा इकाइयों का विकास हुआ। उन्होंने होमी भाभा के साथ भारत के पहले परमाणु रिएक्टर ‘अप्सरा’ (1956) के निर्माण में योगदान दिया और आगे चलकर परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष और योजना आयोग के सदस्य जैसे अहम पदों पर कार्य किया।

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भी गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा कि कलपक्कम, रावतभाटा, कैगा, काकरापार और नरोरा जैसे परमाणु संयंत्र डॉ. श्रीनिवासन के योगदान का प्रत्यक्ष प्रमाण हैं। उन्होंने कहा, “मैं उन्हें लंबे समय से जानता था। वह एक ऐसे वैज्ञानिक थे जिनकी सोच में विज्ञान, समाज और संस्कृति का संतुलित दृष्टिकोण झलकता था।”


डॉ. श्रीनिवासन का करियर 1955 में परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) से जुड़ने के साथ शुरू हुआ था। उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया, जिनमें 1974 में डीएई के पावर प्रोजेक्ट्स इंजीनियरिंग डिवीजन के निदेशक, 1984 में परमाणु ऊर्जा बोर्ड के अध्यक्ष और 1987 में परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष एवं सचिव जैसे पद शामिल हैं।

डॉ. श्रीनिवासन की तकनीकी प्रतिभा और सेवाभाव ने भारत के परमाणु ऊर्जा क्षेत्र को एक मजबूत आधार प्रदान किया। उनके निधन पर पूरे देश में शोक की लहर है।

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