फैक्ट चेक: क्या मोदी सरकार ने अल्पसंख्यक मंत्रालय को रद्द करने का लिया निर्णय? पढ़ें पूरा सच
सोशल मीडिया पर एक पोस्ट तेजी से वायरल हो रहा है। पोस्ट में दावा किया जा रहा है कि अब केंद्र की मोदी की सरकार अब अल्पसंख्यक मंत्रालय को रद्द करने का फैसला लिया है। फेसबुक पर इस पोस्ट को शेयर कर लिखा गया है कि,’ अल्पसंख्यक मंत्रालय खत्म करेगी मोदी सरकार, 2006 में ‘वोट बैंक’ खुश करने के लिए मनमोहन सरकार ने गठन किया था।
फेसबुक का लिंक यहाँ देखें।
फैक्ट चेक
न्यूज़मोबाइल की पड़ताल में हमने जाना कि वायरल पोस्ट फर्जी है। सरकार ने खुद इस पोस्ट का खंडन किया है।
इंटरनेट पर वायरल हो रहे इस दावे की सत्यता जानने के लिए हमने पड़ताल। हमने जाना कि यदि केंद्र सरकार ऐसा कोई फैसला लेने जा रही होगी तो वह इससे सम्बंधित कोई जानकारी मंत्रालय की वेबसाइट पर जरूर अपलोड की होगी साथ ही यह खबर सुर्ख़ियों में आती। इसलिए सच्चाई जानने के लिए हमने सबसे पहले हमने अल्पसंख्यक मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट पर खंगालना शुरू किया। दावे की इस दौरान हमने जाना कि सरकार ने इसके सम्बन्ध में कोई जानकारी प्रकाशित नहीं है। इसके उपरांत सरकार ने मंत्रालय के संबंध में अपनी आगे की योजनाओं के बारे जानकारी दी है।
इसके साथ ही हमने वेबसाइट पर इस तथ्य की जानकारी प्राप्त करने के लिए खंगाला कि यह मंत्रालय के अंतर्गत कौन-कौन से धर्म के लिए काम किया जाता है, साथ ही इस मंत्रालय की शुरुआत कब हुई थी।
इस दौरान हमने जाना कि अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय का गठन सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय में से 29 जनवरी, 2006 को अधिसूचित अल्पसंख्यक समुदायों अर्थात् मुस्लिम, ईसाई, बौद्घ, सिक्ख, पारसियों तथा जैनों से संबंधित मामलों पर बल देने के लिए किया गया था| मंत्रालय का अधिदेश अल्पसंख्यक समुदायों के लाभ के लिए समग्र नीति तैयार करना और योजना, समन्वयन, मूल्यांकन, विनियामक ढांचे एवं विकास संबंधी कार्यक्रम समीक्षा करना है।
मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट पर हमें कहीं भी इस मंत्रालय के बंद किए जाने की कोई सूचना नहीं मिली। इसके बाद हमने गूगल पर कुछ संबंधित कीवर्ड्स के माध्यम से खोजना शुरू किया। जिसके बाद हमें PIB फैक्ट चेक के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर इस पोस्ट को लेकर एक ट्वीट मिला। ट्वीट में वायरल पोस्ट को फर्जी बताया गया है। साथ ही सफाई देते हुए जानकारी दी गयी है कि केंद्र सरकार का ऐसा कोई फैसला नहीं लिया है।
A media report published in @DeccanHerald is claiming that the Central government is likely to scrap the Ministry of Minority Affairs and will merge it with @MSJEGOI#PIBFactCheck
▶️ This Claim is #FAKE
▶️ No such Proposal is under consideration pic.twitter.com/RcTtyzyw59
— PIB Fact Check (@PIBFactCheck) October 3, 2022
पड़ताल के दौरान मिली जानकारी से हमने जाना कि वायरल पोस्ट फर्जी है, केंद्र की मोदी सरकार ने ऐसा कोई फैसला नहीं लिया है।