विदेश

भारत–साइप्रस रिश्तों को नई गति, जयशंकर और कॉम्बोस की नई दिल्ली में अहम बैठक

भारत और साइप्रस के बीच लंबे समय से चले आ रहे राजनयिक रिश्तों को और मजबूत करने के लिए विदेश मंत्री एस. जयशंकर और उनके साइप्रस समकक्ष कॉन्स्टेंटिनोस कॉम्बोस ने गुरुवार को नई दिल्ली में व्यापक बातचीत की। इस बैठक में दोनों नेताओं ने भारत–साइप्रस के बीच भरोसेमंद और गहरे रिश्ते को फिर से दोहराया।

बैठक का मुख्य फोकस भारत–साइप्रस संयुक्त कार्ययोजना 2025–2029 (Joint Action Plan) की प्रगति की समीक्षा पर रहा। यह रोडमैप इस साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की साइप्रस यात्रा के दौरान तय हुआ था। इस योजना के तहत दोनों देश व्यापार, निवेश, तकनीक और संस्कृति के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर काम कर रहे हैं।

बातचीत के दौरान दोनों मंत्रियों ने नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था (rules-based order) को मजबूत करने पर जोर दिया और संयुक्त राष्ट्र (UN) तथा यूरोपीय संघ (EU) जैसे बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई। जयशंकर ने बैठक के दौरान कहा कि भारत और साइप्रस समय-परीक्षित और भरोसेमंद मित्र हैं। उन्होंने कहा, “आज के समय में ‘भरोसेमंद’ और ‘स्थायी मित्रता’ जैसे शब्द आसानी से नहीं कहे जा सकते, लेकिन भारत और साइप्रस के रिश्ते के लिए मैं यह पूरे आत्मविश्वास से कह सकता हूं।”

जयशंकर ने सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ भारत के रुख पर साइप्रस के लगातार समर्थन के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने पहलगाम आतंकी हमले की निंदा करने और भारत के साथ एकजुटता दिखाने के लिए भी साइप्रस सरकार की सराहना की। विदेश मंत्री ने यह भी उल्लेख किया कि साइप्रस ने हमेशा भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की स्थायी सदस्यता और न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (NSG) में शामिल किए जाने का समर्थन किया है।

जयशंकर ने कहा कि भारत साइप्रस की संप्रभुता, एकता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करता है और दो समुदायों पर आधारित संघीय समाधान (bi-zonal, bi-communal federation) का समर्थन करता है, जैसा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों में उल्लिखित है।

इस बैठक को भारत और साइप्रस के बीच रिश्तों को एक नई दिशा देने वाला कदम माना जा रहा है, जो दोनों देशों को आर्थिक, सांस्कृतिक और रणनीतिक साझेदारी में और करीब लाएगा।

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न्यूज़ मोबाइल ब्यूरो

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