भारतीय चिकित्सा संघ यानी (Indian Medical Association, IMA) ने सोमवार (आज)प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लिखित तौर पर हस्तक्षेप की मांग की है। IMA ने प्रधानमंत्री को तीन पन्नों का पत्र लिख आग्रह किया कि उनकी याचिकाओं का समाधान करने के साथ ही मेडिकल पेशेवरों के लिए सौहाद्रपूर्ण वातावरण यानी सुरक्षित माहौल सुनिश्चित करें ताकि वे बिना किसी डर के काम कर सकें ।
18 जून को ‘नेशनल प्रोटेस्ट डे’ के रूप में आयोजित करने का लिया निर्णय।
इस पत्र में IMA ने असम की घटना का जिक्र किया है जिसमें डॉक्टरों के खिलाफ शोषण का मामला सामने आया था। इसके अलावा इसमें अपील की गई है कि महामारी कोविड-19 से बचाव के लिए चलाई जा रही वैक्सीनेशन ड्राइव को लेकर जो गलतफहमियां फैला रहे हैं उनके खिलाफ महामारी अधिनियम 1897 के तहत सरकार सख्त कार्रवाई करे। और तो और संघ ने 18 जून को ‘नेशनल प्रोटेस्ट डे’ के तौर पर आयोजित करने का भी फैसला लिया है।
इस पूरे पात्र में IMA ने ना केवल कई विषयों को लेकर पीएम से अपील की है बल्कि प्रधानमंत्री द्वारा उठाये गए कुछ कदमो की भी सराहना की है। इसके साथ ही संघ ने अपनी शिकायतों पर उचित कार्यवाही करने का आग्रह भी किया है।
Indian Medical Association (IMA) writes to Prime Minister Narendra Modi, requesting his personal intervention to resolve IMA's pleas & to ensure "optimum milieu" for medical professionals to work without fear pic.twitter.com/tLK0OjhFzE
— ANI (@ANI) June 7, 2021
जानें क्या लिखा है IMA ने अपने पत्र में ?।
IMA ने अपने पत्र में इन पॉइंट्स पर उचित कार्यवाही करने का आग्रह किया है।
- “महामारी से निपटने के लिए आपने जो टीकाकरण अभियान शुरू किया है, ये कोरोना संक्रमण के कई लक्षणों से बचाने में सहायक साबित हुआ है। इस तरह IMA पहले दिन से ही देश में टीकाकरण अभियान को बढ़ाने के लिए सरकार के साथ कदम से कदम मिलाकर खड़ा रहा है। अब हम एक बार फिर से आपका ध्यान उन घटनाओं की तरफ खींचना चाहते हैं, जिन्होंने हाल ही में हमें गहरा दुख पहुंचाया है। इस महामारी के दौरान देश के डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों के खिलाफ हिंसा की बढ़ती घटनाओं से हमें गहरा दुख हुआ है।”
- “असम में हमारे युवा डॉक्टर पर हमला या अन्य जगह पर महिला डॉक्टर के खिलाफ भी हिंसा जैसे घटनाएं स्वास्थ्यकर्मियों के बीच एक मानसिक तनाव पैदा कर रहे हैं जबकि इस महामारी के दौरान कई युवा डॉक्टर ने हजारों लोगों की सेवा कर अपनी जान गवाई है। और केवल डॉक्टर ही नहीं नहीं, बल्कि उनके परिवार के सदस्यों को भी इस संकट ने काफी प्रभावित किया है। कई ऐसे भी मामले देखने में आए हैं, जहां पति और पत्नी दोनों डॉक्टर होने के कारण उनकी मौत हो जाने के बाद वे अपने बच्चों को अनाथ छोड़कर ही इस दुनिया से चले गए हैं।”
- “IMA ऐसे सभी मामलों को इकट्ठा कर समय-समय पर अपने अधिकारियों को सौंपता आ रहा है और हम इन सभी परिवारों के लिए सभी के समर्थन की मांग करते हैं। आज इस पत्र के जरिए हम आपसे मांग करते हैं कि एक ऐसा सुरक्षित वातावरण या माहौल तैयार किया जाए, जिससे कि स्वास्थ्यकर्मी बिना किसी डर के काम कर सकें और इसके लिए आपके हस्तक्षेप की जरूरत है. हम मानते हैं कि जब आप जैसा मजबूत नेता इस कार्यक्रम का नेतृत्व करेगा, तभी पूरा लाभ सभी लोगों तक पहुंचेगा।”
IMA ने पीएम मोदी से इन मामलों पर अपील की है-
- हेल्थ वर्कर्स के लिए एक सुरक्षित माहौल बनाया जाए, ताकि वे सभी बिना किसी डर के काम कर सकें।
- डॉक्टरों पर लगातार और चल रहे शारीरिक और मानसिक हमले को रोकने के साथ-साथ कुछ लोगों की तरफ से आधुनिक चिकित्सा और टीकाकरण के खिलाफ गलत सूचनाओं को फैलने से रोकने के लिए प्रधानमंत्री तत्काल हस्तक्षेप करें।
- कोई भी व्यक्ति कोरोना महामारी से लड़ने में सहायक टीकाकरण अभियान के खिलाफ गलत सूचना फैलाता है, उसे महामारी रोग अधिनियम, 1897, भारतीय दंड संहिता के आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के प्रावधानों समेत कानून के अनुसार दंडित किया जाना चाहिए।
- किसी भी व्यक्ति की तरफ से स्वास्थ्य मंत्रालय की मंजूरी के बिना भोले-भाले लोगों को बेवकूफ बनाने और तथाकथित ‘जादुई इलाज’ या ‘आश्चर्यजनक दवाओं’ को बढ़ावा देने के किसी भी प्रयास को तुरंत बंद कर दिया जाना चाहिए।
- सरकार को राज्यों और प्राइवेट अस्पतालों पर 50 प्रतिशत तक टीके छोड़े बिना 18 वर्ष से ज्यादा की उम्र वर्ग के सभी लोगों के लिए मुफ्त टीकाकरण को बढ़ावा देना चाहिए।
- कोरोना संक्रमण के साथ-साथ थ्रोम्बोटिक घटनाओं में वृद्धि और फंगल संक्रमण के मामले भी लगातार बढ़ते जा रहे हैं, जिसके लिए उचित तैयारी की जरूरत है। म्यूकोर्मिकोसिस (Black Fungus) के लिए जरूरी दवाएं आसानी से उपलब्ध नहीं हैं, हालांकि सरकार सभी प्रयास कर रही है। इन पोस्ट कोविड लक्षणों का अध्ययन करने के लिए सभी मेडिकल दिशानिर्देशों के साथ एक अलग रिसर्च सेल तैयार किया जाए।
- कोरोना संक्रमण में जान गवाने वाले डॉक्टरों को शहीद के रूप में पहचान देने की मांग की है और कहा है कि डॉक्टरों के परिवार वालों तक सरकार की योजनाओं का लाभ पहुंचना चाहिए, यह सुनिश्चित करें।