अगर पाबंदी नहीं लगी तो देश धर्मशाला बन जाएगा: अमित शाह

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान घुसपैठ और चुनाव आयोग की मतदाता सूची शुद्धिकरण प्रक्रिया (एसआईआर) पर अहम बयान दिए। शाह ने कहा कि दूसरे देशों से आने वाले लोगों की संख्या पर नियंत्रण जरूरी है, क्योंकि अगर बिना किसी पाबंदी के लोगों को आने दिया गया तो “देश धर्मशाला बनकर रह जाएगा।”
शाह ने कहा कि घुसपैठ के मुद्दे को राजनीतिक दृष्टिकोण से नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि किसी भी घुसपैठिए को राजनीतिक संरक्षण नहीं दिया जाना चाहिए। गृह मंत्री ने मतदाता सूची में फर्जी नाम हटाने की प्रक्रिया यानी विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का जिक्र करते हुए कहा कि चुनाव आयोग की प्रक्रिया में किसी को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह आयोग की संवैधानिक जिम्मेदारी है।
अमित शाह ने स्पष्ट कहा कि सरकार घुसपैठ की समस्या से निपटने के लिए ‘डिटेक्ट, डिलीट और डिपोर्ट’ (पहचानो, हटाओ और निर्वासित करो) की नीति पर काम करेगी। उन्होंने कहा कि मतदान का अधिकार केवल भारत के नागरिकों को ही मिलना चाहिए, न कि उन लोगों को जो गैरकानूनी तरीके से देश में रह रहे हैं।
गौरतलब है कि निर्वाचन आयोग ने हाल ही में बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की प्रक्रिया पूरी की है। अब आयोग इस प्रक्रिया को पूरे देश में लागू करने की तैयारी कर रहा है। आयोग के मुताबिक, पश्चिम बंगाल समेत अन्य राज्यों में चरणबद्ध तरीके से एसआईआर की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
हालांकि, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और कुछ अन्य विपक्षी नेताओं ने चुनाव आयोग के इस फैसले का विरोध किया है। उनका कहना है कि इस प्रक्रिया का इस्तेमाल राजनीतिक लाभ के लिए किया जा सकता है। अमित शाह के इस बयान के साथ एक बार फिर घुसपैठ और मतदाता सूची में फर्जी नामों का मुद्दा देश की सियासत में चर्चा का केंद्र बन गया है।





