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ईद उल-अज़हा के मौके पर मस्जिदों पर उमड़ी भीड़, पीएम मोदी ने दी बधाई, जानें क्यों मनाई जाती है बकरीद

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ईद उल-अज़हा के मौके पर मस्जिदों पर उमड़ी भीड़, पीएम मोदी ने दी बधाई, जानें क्यों मनाई जाती है बकरीद

 

आज यानी रविवार को देश व दुनिया में मुस्लिम समुदाय के लोग ईद-उल-अजहा (बकरीद) त्यौहार मना रहे हैं। इस्लाम धर्म के सबसे पवित्र महीने रमजान (Ramadan) के खत्म होने के करीब 70 दिनों बाद बकरीद यानी ईद-उल-अजहा का त्योहार मनाया जाता है। इस मौके पर ईदगाह या मस्जिदों में विशेष नमाज अदा की जाती है। ऐसे में देश के अलग-अलग हिस्से में बसे मुस्लमान मस्जिदों में नमाज अदा करने के लिए भारी संख्या जमा हुए। दिल्ली की प्रसिद्ध जमा मस्जिद में भी नमाजी भारी संख्या में नमाज अदा करने पहुंचे।

 

इस साल 10 जुलाई को मनाया जा रहा ईद-उल-अजहा एक पवित्र अवसर है, जिसे ‘बलिदान का त्योहार’ भी कहा जाता है। इस पर्व को धू उल-हिज्जाह के 10वें दिन मनाया जाता है, जो इस्लामी या चंद्र कैलेंडर का बारहवा महीना होता है। यह वार्षिक हज यात्रा के अंत का प्रतीक है।  हर साल, तारीख बदलती है क्योंकि यह इस्लामिक कैलेंडर पर आधारित है, जो पश्चिमी 365-दिवसीय ग्रेगोरियन कैलेंडर से लगभग 11 दिन छोटा है।

क्यों मनाया जाता है यह त्यौहार 

कहा जाता है कि इस पर्व का इतिहास 4,000 साल पहले का है जब अल्लाह पैगंबर अब्राहम के सपने में प्रकट हुए थे और उनसे उनकी सबसे ज्यादा प्यारी वस्तु का बलिदान देने के लिए कह रहे थे। इस्लाम धर्म की मान्यता के हिसाब से आखिरी पैगंबर हजरत मोहम्मद हुए। हजरत मोहम्मद के वक्त में ही इस्लाम ने पूर्ण रूप धारण किया और आज जो भी परंपराएं या तरीके मुसलमान अपनाते हैं वो पैगंबर मोहम्मद के वक्त के ही हैं।

बताया जाता है कि हजरत इब्राहिम 80 साल की उम्र में पिता बने थे। उनके बेटे का नाम इस्माइल था। हजरत इब्राहिम अपने बेटे इस्माइल को बहुत प्यार करते थे. एक दिन हजरत इब्राहिम को ख्वाब आया कि अपनी सबसे प्यारी चीज को कुर्बान कीजिए।  इस्लामिक जानकार बताते हैं कि ये अल्लाह का हुक्म था और हजरत इब्राहिम ने अपने प्यारे बेटे को कुर्बान करने का फैसला लिया। हजरत इब्राहिम ने अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली और बेटे इस्माइल की गर्दन पर छुरी रख दी। लेकिन इस्माइल की जगह एक बकरा आ गया. जब हजरत इब्राहिम ने अपनी आंखों से पट्टी हटाई तो उनके बेटे इस्माइल सही-सलामत खड़े हुए थे। कहा जाता है कि ये महज एक इम्तेहान था और हजरत इब्राहिम अल्लाह के हुकुम पर अपनी वफादारी दिखाने के लिए बेटे इस्माइल की कुर्बानी देने को तैयार हो गए थे। इस तरह जानवरों की कुर्बानी की यह परंपरा शुरू हुई।

पीएम मोदी ने ट्वीट कर दी बधाइयां 

 

देश के कोने कोने में मनाई जा रही है बकरीद