पेरिस: पेरिस पैरालिंपिक में एक ऐतिहासिक क्षण में, हरविंदर सिंह बुधवार को पैरालंपिक स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय तीरंदाज बन गए. सिंह ने पुरुषों की व्यक्तिगत रिकर्व ओपन स्पर्धा के फाइनल में पोलैंड के लुकाज़ सिसज़ेक को हराकर यह उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की.
तीन साल पहले टोक्यो पैरालिंपिक में कांस्य पदक जीतने के बाद, यह जीत हरविंदर की प्रभावशाली विरासत को जोड़ती है.
हरविंदर की पैरालंपिक तीरंदाजी के शिखर तक की यात्रा प्रेरणादायक और असाधारण दोनों है. हरियाणा के एक किसान परिवार में जन्मे, महज डेढ़ साल की उम्र में उनके जीवन पर गहरा असर पड़ा जब डेंगू के इलाज के कारण उनके पैरों की कार्यक्षमता स्थायी रूप से खत्म हो गई.
2012 लंदन पैरालिंपिक से प्रेरित होकर, सिंह ने तीरंदाजी की ओर रुख किया, एक ऐसा खेल जो अंततः उनकी पहचान बन गया. उनका अंतरराष्ट्रीय पदार्पण 2017 में पैरा तीरंदाजी विश्व चैम्पियनशिप में हुआ, जहां वह सातवें स्थान पर रहे. हालाँकि, यह तो बस शुरुआत थी. 2018 में हरविंदर ने जकार्ता एशियाई पैरा खेलों में स्वर्ण पदक जीता, जिससे उनकी भविष्य की सफलता के लिए मंच तैयार हुआ.