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Digital Arrest से सावधान! कहीं आपको भी तो नहीं आया ऐसा फोन?

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डिजिटल अरेस्ट मामलों ने इन दिनों तेजी पकड़ी है. हालही में आगरा में एक टीचर महिला भी इस डिजिटल अरेस्ट की शिकार हुईं जिसके चलते उनकी मौत हो गई. डिजिटल अरेस्ट के जरिए साइबर ठग आसानी से आम लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं.

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अब बात यह आति है कि आखिर डिजिटल अरेस्ट है क्या तो आपको बता दें कि डिजिटल अरेस्ट में किसी भी शख्स को ऑनलाइन के जरिया डराया धमकाया ब्लैकमेल किया जाता है. दरअसल दिजिटल अरेस्ट शब्द कानून में नहीं है बावजूद पिछले तीन महीनों में दिल्ली-एनसीआर में करीब 600 मामले दर्ज किए गए हैं.

 

डिजिटल अरेस्ट के मामले में लोगों को कैसे फंसाया जाता है…?

इस तरह की ठगी के कई तरीके हैं, जैसे 1. इसमें ठग आपको आपके परिवार जे जुड़े लोगों के बारे व्हाट्सएप कॉल के जरिए गलत इंफार्मेशन जैसे कि आपकी बेटी या फिर बेटा गलत काम में अरेस्ट हो गया है. अगर आप नहीं चाहती की केस हो तो आप इतने रुपए हमें भेज दें हम उसे छोड़ देंगे और केस भी नहीं होगा, ऐसा कॉल करते हैं. साथ ही उस कॉल को ऑथेंटिक दिखाने के लिए उस कॉल की डीपी में आपको किसी पुलिस अधिकारी की फोटो देखने को मिलेगी.

2. ठग किसी कूरियर का नाम लेकर भी आपके साथ फ्रॉड कर सकता है जैसे वह कूरियर का नाम लेकर इसमें गलत सामान ड्रग्स या कुछ है जिससे आप फंस जाएंगे. ऐसा कहकर आपसे पैसों की डिमांड करेगा.

3. कुछ आपको मनी लॉन्ड्रिंग, एनडीपीएस का डर दिखाकर भी फंसा सकते हैं.

 

ऐसा नहीं है कि डिजिटल अरेस्ट रैकेट में शामिल घोटालेबाज केवल भोली-भाली गृहिणी या कामकाजी वर्ग के साधारण लोगों को ही निशाना बनाते हैं, बल्कि हकीकत यह है कि ऐसे साइबर अपराध के अधिकांश पीड़ित शिक्षित और जागरूक नागरिक हैं. अब सवाल यह उठता है कि यह शिक्षित नागरिक क्यों ठगे जाते हैं? तो आपको बता दें कि अगर आपके सिर पर कोई काल्पनिक बंदूक तान दे तो फिर आपके पास उसकी बात मानने के अलावा और कोई विकल्प नहीं रह जाता.

 

हालही में दिल्ली के सीआर पार्क इलाके में रहने वाले 72 वर्षीय कृष्णा दास गुप्ता के साथ स्कैम हुआ, और ठगबाज ने उनसे 83 लाख रुपए ठग लिए. चलिए आपोक उदहारण के तौर पर बताते हैं कि आखिर उनके साथ क्या हुआ ताकि आप भी सतर्क रहें.

यह घटना मई 2024 की है, जहां सुबह 9.30 पर साउथ दिल्ली में रहने वाले रिटायर्ड नर्सिंग सुपरिंटेंडेंट कृष्णा दास गुप्ता को एक मैसेज मिला, जिसमें दावा किया गया था कि उनका मोबाइल नंबर 2 घंटे में ब्लॉक कर दिया जाएगा. यह मैसेज आधिकारिक लग रहा था, कथित तौर पर महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड से आया था, और उन्हें बताया गया था कि उनके आधार नंबर का इस्तेमाल करके मुंबई में एक और सिम कार्ड जारी किया गया है.

 

साइबर अपराधियों में से किसी एक ने उनसे वीडियो कॉल पर मुंबई पुलिस का अधिकारी बनकर उनसे बात की. इसके तुरंत बाद, कृष्णा को एक कॉल आया, जिसमें उन्हें वीडियो कॉल के जरिए मुंबई पुलिस के फर्जी अधिकारियों से जोड़ा गया. जालसाजों ने उनसे बात करते हुए दावा किया कि उनके आधार का इस्तेमाल मनी-लॉन्ड्रिंग और पॉर्नोग्राफिक सामग्री साझा करने जैसे अपराधों के लिए किया गया है. हद तो तब पार हो गई जब अपराधियों ने उन्हें एक फर्जी सुप्रीम कोर्ट वारंट दिखाया, जिसमें उन्हें यह विश्वास हो गया कि उन्हें अगले दो घंटे में गिरफ्तार कर लिया जाएगा.

 

कृष्णा जालसाजों की बातों में आ गईं और करीब 12 घंटे डिजिटल अरेस्ट में रहीं और उन्होंने अपने जीवन भर की बजत करीब 83 लाख रुपए जालसाजों को ट्रांसफर कर दिए. घोटालेबाजों ने यह दावा किया की वह प्रवर्तन निदेशालय का अकाउंट है. पर धीरे-धीरे जब वक्त बीतता गया तब कृष्णा को समझ आया कि वह धोखाधड़ी का शिकार हो गईं हैं.

 

डिजिटल अरेस्ट से कैसे रहें सावधान 

देखिए साइबर ठगी के कई प्रकार होते हैं. गलत तरीके से आपसे आपका डेटा लेना OTP लेना, बैंक खाता गलत तरीके से खोलना, लेकिन अगर हम बात करें उपाय की तो हम आपको बता दें कि सरकरा एजेंसी ऑनलाइन तरीके से कभी पूछताछ नहीं करती. कभी कोई पुलिस अधिकारी आपको व्हाट्सएप कॉल नहीं कर सकता. तो अगर आपके साथ इस तरह का कोई फ्रॉड हुआ है तो आप उसकी शिकायत दो तरीकों से कर सकते हैं. एक तो आप साइबर फ्रॉड के हेल्पलाइन नंबर या फिर ईमेल के जरिए शिकायत दर्ज कर सकते हैं. नहीं तो आप स्थानीय पुलिस के पास जाकर भी अपनी FIR दर्ज करवा सकते हैं.

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