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सुप्रीम कोर्ट ने रेप मामले टू-फिंगर टेस्ट पर लगाई रोक, कोर्ट ने जताई नाराजगी

सुप्रीम कोर्ट: फाइल फोटो
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सुप्रीम कोर्ट ने रेप मामले टू-फिंगर टेस्ट पर लगाई रोक, कोर्ट ने जताई नाराजगी

सुप्रीम कोर्ट ने रेप मामले में टू फिंगर टेस्ट पर नाराजगी जताते हुए रोक लगा दी है। सोमवार को शीर्ष अदालत ने केंद्र और राज्य को साफ-साफ आदेश दिया है कि आगे से तुरंत यह टेस्ट बंद होना चाहिए। बता दें कि टू-फिंगर टेस्ट में पीड़‍िता के प्राइवेट पार्ट में एक या दो उंगली डालकर उसकी वर्जिनिटी टेस्‍ट की जाती है। यह टेस्ट इसलिए किया जाता है ताकि यह पता लगाया जा सके कि महिला के साथ शारीरिक संबंध बने थे या नहीं।

दरअसल, भारत की कानून व्यवस्था में रेप मामले की पुष्टि के लिए पीड़िता का टू फिंगर टेस्ट कराया जाता है। इसी पर कोर्ट ने कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि दुष्कर्म पीड़िताओं के परीक्षण की ‘टू-फिंगर’ प्रणाली आज भी चली आ रही है। कोर्ट ने कहा कि जो ऐसा करता है, उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए क्योंकि इस तरह का टेस्ट पीड़िता को दोबारा प्रताड़ित करने जैसा है।

कोर्ट ने कहा कि टू फिंगर टेस्ट के पीछे यह सोच काम करती है कि जो महिला यौन संबंध में सक्रिय है, उसका बलात्कार नहीं हो सकता है।सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जो लोग इस तरह का टेस्ट करते हैं, उन्हें गलत आचरण का दोषी माना जाना चाहिए। उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।

बता दें सुप्रीम कोर्ट पहले भी कई मामलों पर टू फिंगर टेस्ट को गलत बता चुका है। साल 2013 में ही कोर्ट इस टेस्ट को असंवैधानिक करार कर चुका था। इसी आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के बरी करने के आदेश को पलट दिया और उस व्यक्ति को बलात्कार-हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई।