भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा पर लगी सुप्रीम कोर्ट की रोक हटवाने के लिए दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई कर ली है। सुप्रीम कोर्ट ने कुछ प्रतिबंधों के साथ ओडिशा के पुरी में रथ यात्रा आयोजित करने की अनुमति दे दी। कोर्ट ने कहा कि पुरी रथ यात्रा स्वास्थ्य से समझौता किए बिना मंदिर समिति, राज्य और केंद्र सरकार के समन्वय के साथ आयोजित की जाएगी।
यात्रा 23 जून को बड़ा डंडा नाम की जगह से शुरू होगी और 1 जुलाई को भगवान जगन्नाथ की घरवापसी के साथ की संपन्न होगी।
उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय ने कोविड-19 महामारी के मद्देनजर इस साल पुरी में 23 जून से आयोजित होने वाली ऐतिहासिक जगन्नाथ रथ यात्रा और इससे संबंधित गतिविधियों पर बृहस्पतिवार (18 जून) को रोक लगा दी थी । न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना के साथ प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एस. ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने देश में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच यात्रा पर रोक का फैसला लिया था। प्रधान न्यायाधीश ने इस संबंध में कहा था कि इस तरह के कार्यक्रम इस महामारी के दौरान नहीं हो सकते हैं।
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वही पुरी के जिलाधीश बलवंत सिंह ने कहा है कि रथयात्रा को लेकर श्रीक्षेत्र धाम पूरी तरह से तैयार है। सुप्रीम कोर्ट को जो भी निर्देश का अनुपालन किया जाएगा। साथ ही प्रशासन और मंदिर के सभी लोग भी यात्रा को लेकर सारी चीज़े सुनिश्चित करने में लगे हुए है ताकि यात्रा में कोर्ट के आर्डर का भी पालन किया जा सके और किसी भी प्रकार की भूल चूक न हो। आपको बता दे की हिंदू धर्म में मान्यता है कि इस रथयात्रा में भगवान के रथ को खींचने वाले को इसी जन्म से मुक्ति मिल जाती है और उसे दोबारा जन्म नहीं लेना पड़ता है। दुनियाभर के लोग इसीलिए रथयात्रा में शामिल होते हैं। इन रथों को रस्सों के जरिए खींचा जाता है। 10वीं शताब्दी में बना जगन्नाथ मंदिर चार धामों में शामिल है।