महाराष्ट्र के एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने करोड़ों रुपये के विदर्भ सिंचाई घोटाले में एनसीपी नेता अजीत पवार को क्लीन चिट दे दी है। एसीबी ने बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में अपने हलफनामे में विदर्भ क्षेत्र में सिंचाई परियोजनाओं की मंजूरी और कमीशन में कथित अनियमितता के मामलों में पवार की
भागीदारी से इनकार किया है।
एफिडेविट को 27 नवंबर को प्रस्तुत किया था. यह शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस की महा विकास अगाड़ी सरकार बनने के एक दिन पहले 28 नवंबर को राज्य में शपथ दिलाने के पहले आया था.
बता दे कि अदालत ने इन मामलों में एसीबी को पूर्व जल संसाधन विकास मंत्री पवार की भूमिका पर अपना रुख स्पष्ट करने को कहा था। पवार, पुणे जिले के बारामती के राकांपा विधायक, 1999-2009 के दौरान जल संसाधन विकास मंत्री थे, जब महाराष्ट्र में कांग्रेस-राकांपा गठबंधन सत्ता में था।
पवार ने विदर्भ सिंचाई विकास निगम (VIDC) के अध्यक्ष के रूप में भी काम किया था, जिसने सिंचाई परियोजनाओं को मंजूरी दे दी थी, जिसमें अनियमितताओं का आरोप लगाया गया था।
2012 में बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ के समक्ष दायर दो जनहित याचिकाओं के अनुसार एसीबी VIDC की 45 परियोजनाओं से संबंधित कुल 2,654 निविदाओं की जांच कर रही है।
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25 नवंबर को एंटी-ग्राफ्ट एजेंसी ने कहा था कि उसने सिंचाई परियोजनाओं में कथित भ्रष्टाचार के नौ मामलों में जांच बंद कर दी है, लेकिन स्पष्ट किया कि उनमें से कोई भी पवार से जुड़ा नहीं था।
यह घोटाला, कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के शासनकाल में विभिन्न सिंचाई परियोजनाओं के अनुमोदन और निष्पादन में कथित भ्रष्टाचार, लागत वृद्धि और अनियमितताओं से संबंधित लगभग 70,000 करोड़ रुपये का है।