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शराब घोटाले मामले में CBI ने किया अरविंद केजरीवाल को तलब, विपक्ष ने कहा- यह लोकतंत्र की हत्या है.

फाइल इमेज
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नई दिल्ली: कथित शराब घोटाले के मामले में सीबीआई ने शुक्रवार यानि 14 अप्रैल को दिल्ली के मुख्यमंत्री व आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को पूछताछ के लिए तलब किया है. CBI ने दिल्ली सीएम अरविन्द केजरीवाल को रविवार यानी 16 अप्रैल को बुलाया है.

 

दिल्ली की नई आबकारी नितियों के मामले में केजरीवाल सरकार के मंत्री व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया पहले ही जेल की सलाखे के पीछे भेजे जा चुके हैं. ऐसे में CBI द्वारा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को तलब करने के बाद विपक्ष ने सरकार पर सवाल उठाना शुरू कर दिया है.

 

राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा, मैंने लिखा था कि जैसे अरविंद केजरीवाल का राजनीतिक उदय होगा उन्हें CBI बुलाएगी. पिछले एक साल में संस्था का किस तरह से दुरुपयोग हुआ है. इस अवसर पर सभी राजनीतिक दलों को अपना मतभेद भुलाकर एक स्वर में बोलना चाहिए. यह लोकतंत्र की हत्या है.

 

वहीं संजय राउत ने भी सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा, सरकार जब विजय माल्या को लाने में असमर्थ है तो वे काला धन कैसे वापस लाएंगे? ये सरकार की विफलता है. आप बड़ी बड़ी बाते करते हो लेकिन परिणाम कुछ नहीं मिलता. परिणाम है विपक्ष का गला दबाना, विपक्ष पर झूठे मुकदमें लगाना, का बस यहीं चल रहा है. अरविंद केजरीवाल को CBI का नोटिस आया है. CBI, ED का इस्तेमाल करके NCP तोड़ने की कोशिश चल रही है.

 

क्या थी दिल्ली की नई आबकारी नीतियां ?

दिल्ली सरकार ने नई आबकारी नीति 2021-22 पेश की थी. सरकार इस नई नीति के जरिए शराब खरीदने का नया अनुभव लोगों को देना चाहती थी. नई नीति में होटलों के बार, क्‍लब्‍स और रेस्‍टोरेंट्स को रात 3 बजे तक ओपन रखने की छूट दी गई थी. इसमें छत समेत खुली जगह पर भी जगह शराब परोसने की अनुमति दी गई थी. इससे पहले तक, खुले में शराब परोसने पर रोक थी. बार में किसी भी तरह के मनोरंजन का इंतजाम करने का भी प्रावधान था. इसके अलावा बार काउंटर पर खुल चुकीं बोतलों की शेल्‍फ लाइफ पर कोई पाबंदी नहीं रखी गई थी.

 

नई पॉलिसी के तहत किसी भी शराब की दुकान पर सरकार का मालिकाना हक नहीं रखने का प्रावधान था. नई पॉलिसी में कंज्‍यूमर की चॉइस और ब्रैंड्स की उपलब्‍धता को तवज्जो दी गई थी. इसका उद्देश्य स्‍मगलिंग और बूटलेगिंग रोकना था. नई पॉलिसी में सबसे खास बात थी कि ई-टेंडरिंग के जरिए हर जोन ऑपरेटर के लिए नया L-7Z लाइसेंस अलॉट किया जाना था.