यूपी के बाद मध्यप्रदेश में लव जिहाद पर नकेल कसने की तैयारी पूरी हो गई है। दरअसल अब लव जेहाद पर पाबंदी वाला कानून शिवराज कैबिनेट में पारित हो गया है। आज सुबह सीएम शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में धर्म स्वातंत्र्य विधेयक, 2020 के ड्राफ्ट को मंजूरी दी गई। बैठक के बाद इस बात की जानकारी गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने दी।
भोपाल: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में एक विशेष बैठक आयोजित, बैठक में कैबिनेट ने धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक-2020 पास किया। #Bhopal #MadhyaPradesh @ChouhanShivraj pic.twitter.com/vaByW6iDsI
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गृह मंत्री ने बताया कि नए विधेयक के तहत, जबरदस्ती किसी का धर्म परिवर्तन कराने पर एक से पांच साल की कैद और न्यूनतम 25,000 रुपये का जुर्माना लगेगा। उन्होंने कहा, विधेयक के तहत नाबालिग, महिला या अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति का जबरन धर्म परिवर्तन कराने पर 50,000 रुपये का जुर्माना और दो से लेकर 10 साल की जेल की सजा का प्रावधान भी होगा।
विधेयक में किसी भी व्यक्ति का जबरन धर्म परिवर्तन कराने पर 1-5 वर्ष का कारावास और 25,000 का जुर्माना लगाने का प्रावधान है और नाबालिग,महिला, SC, ST का जबरन धर्म परिवर्तन कराने पर 2-10 वर्ष का कारावास और50,000 का जुर्माना लगाने का प्रावधान है: @drnarottammisra मध्य प्रदेश गृह मंत्री pic.twitter.com/XRh2jk73jY
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इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि अब इस विधेयक को विधानसभा में पेश किया जाएगा। 28 दिसंबर से मध्यप्रदेश विधानसभा का सत्र प्रस्तावित है।
कलेक्टर को एक महीने पहले आवेदन देना होगा जरूरी।
कानून के तहत अपनी मर्जी से धर्म परिवर्तन के लिए संबंधित जिले के कलेक्टर को एक महीने पहले आवेदन देना होगा। धर्मांतरण कर शादी करने के लिए कलेक्टर के पास आवेदन देना अनिवार्य होगा। बिना आवेदन के अगर धर्मांतरण किया गया तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।
नए क़ानून में है 19 प्रावधान।
बता दे ‘धर्म स्वातंत्र्य विधेयक 2020’ को कैबिनेट से ध्वनि मत से पारित किया गया है। नए कानून में कुल 19 प्रावधान हैं, जिसके तहत अगर धर्म परिवर्तन के मामले में पीड़ित पक्ष की तरफ से शिकायत की जाती है, तो पुलिस आरोपी पर कार्रवाई करेगी। अगर कोई व्यक्ति धन और संपत्ति के लालच में धर्म छिपाकर शादी करता है तो उसकी शादी को शून्य माना जाएगा। इसके अलावा धर्म परिवर्तन पर संबंधित संस्थान भी बराबर का जिम्मेदार माना जाएगा।
महिला के लिए भी है अधिकार।
गौरतलब है कि इस कानून में अपराध की पीड़ित महिला एवं पैदा हुए बच्चे का भरण पोषण प्राप्त करने के अधिकार होने के भी प्रावधान किए गए हैं। पैदा हुए बच्चे को पिता की संपत्ति में उत्तराधिकारी के रूप में अधिकार बरकरार रखे जाने का प्रावधान शामिल किया गया है।