योग स्वास्थ्य के लिए है जरूरी, लेकिन यह मिथक दूर करना उससे भी ज्यादा है जरूरी
आज के इस भाग-दौड़ वाले युग में एक आम इंसान के जीवन में योग बहुत अहम रोल निभा सकता है। योग की अहमियत को समझते हुए कइयों की लाइफस्टाइल का यह एक अहम हिस्सा है। योग एक इंसान के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए बेहद ज़रूरी है। कई सक्सेसफुल सेलेब्स ने तो योग को अपने दैनिक दिनचर्या का हिस्सा बना लिया है। भारत में योग को लेकर लोगों को जागरूक करने के लिए सरकार भी कई जरुरी कदम उठा रही है।
लेकिन अभी भी बहुत से लोगों के मन में योग को लेकर कई मिथक व भ्रांतियां हैं। जिसकी वजह से वो योग को अपने जीवन का हिस्सा बनाने में संकोच करते हैं। इस लेख के माध्यम से हम ऐसे ही कुछ मिथकों और भ्रांतियों का पर्दाफाश करेंगे।
मिथक– योग सिर्फ हिमालय पर ही होता है।
तथ्य– योग का अभ्यास कहीं भी किया जा सकता है। चाहे वह घर हो या बगीचा या जिम। हालांकि, इसके ज्ञान में गहराई तक जाने के लिए अपने अभ्यास को हिमालय तक ले जा सकते हैं, क्योंकि योग की उत्पत्ति हिमालय मानी जाती है।
मिथक– परंपरागत योग से शरीर की चर्बी या वजन कम नहीं होता।
तथ्य– अधिकतर लोग ऐसा सोचते हैं कि परंपरागत योग को करने से मोटापा और वजन घटने में कोई मदद नहीं मिलती है। लेकिन अगर सही तरीके से सही गुरु की मदद से योग किया जाए तो बिना किसी गलत प्रभाव के यह शरीर का वजन घटाने में बहुत मदद करता है।
मिथक- योग केवल वृद्ध और महिलाओं के लिए ही है।
तथ्य- लोगों के मन यह भी मिथक है कि योग सिर्फ महिलाओं या वृद्ध लोगों के लिए ही हैं। जबकि सच्चाई यह है कि योग चाहे महिला हो या पुरुष, वृद्ध हो या जवान हर वर्ग का इंसान इसका अभ्यास कर सकता हैं। योग को अपनाने के लिए किसी धर्म, जाति, लिंग या उम्र के भेदभाव की जरूरत नहीं है। योग के लिए एक खुली विचारधारा की जरूरत है।
मिथक– योग हिन्दू धर्म की एक प्रथा है।
तथ्य– बता दें कि योग एक कला है जो हमें सही और स्वस्थ तरीके से जीवन जीने का तरीका बताती है। इसका किसी धर्म से कोई लेना-देना नहीं है। तभी तो आजकल विदेश में भी योग को बहुत से लोग मान्यता देने लगे हैं और इसका अभ्यास करने लगे हैं।
मिथक– योग गर्भवती महिलाएं नहीं कर सकती हैं।