शिव सेना की युवा सेना ने आज सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर युनिवर्सिटी के फाइनल ईयर के एग्जाम को रद्द करने की मांग की है. बता दे कि महाराष्ट्र सरकार के मंत्री आदित्य ठाकरे युवा सेना के अध्यक्ष हैं जिन्होंने ये याचिका आज दायर की है .आदित्य ठाकरे ने ये याचिका यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (UGC) के उस फैसले के खिलाफ दायर की है जिसमें UGC ने साफ तौर पर कहा है फाइनल ईयर के एग्जाम किसी हाल में रद्द नहीं किए जाएंगे. हालांकि कोर्ट ने अभी ये याचिका स्वीकार नहीं की है। आपको बता दे कि UGC ने दिशा निर्देश दिए है कि फाइनल ईयर के एग्जाम अब 30 सितम्बर के पहले कि लिए जायेंगे। जिसे लेकर लगातार महाराष्ट्र सरकार विरोध कर रही है.
Today Yuva Sena has filed a writ petition in the Supreme Court with a humble prayer to save lives of lakhs of students, teachers, non teaching staff and their families by asking the UGC to not be stubborn about enforcing examinations when India has crossed the 10 lakh cases mark
— Aaditya Thackeray (@AUThackeray) July 18, 2020
युवा सेना ने अपने बयान में कहा कि “केंद्र सरकार परीक्षा आयोजित करने की अनुमति देकर देशभर में छात्रों की सुरक्षा, डर, मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य की अनदेखी कर रही है.” सेना ने कहा, “कोरोना एक राष्ट्रीय आपदा है, इसे देखते हुए यूजीसी को अंतिम वर्ष की परीक्षाएं स्थगित कर देनी चाहिए. हालांकि, ऐसा लगता है कि UGC इस बात को नहीं समझ पा रहा है कि देश किस विपत्ति से गुजर रहा है.”
The petition is for each and every student across the country, being forced to appear for an examination in an absolutely bizarre judgement of the situation by UGC and non flexibility when it comes to human safety
— Aaditya Thackeray (@AUThackeray) July 18, 2020
युवा सेना ने कहा कि स्टूडेंट्स और परीक्षा पर्यवेक्षक एग्जाम सेंटर आएंगे और जाएंगे इससे कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है. आईआईटी जैसे देशभर के प्रमुख शिक्षण संस्थान पहले ही अंतिम वर्ष की परीक्षाएं रद्द कर चुके हैं. संगठन ने कहा कि छात्रों इस ऐकडेमिक वर्ष में अब तक प्राप्त किए गए नंबरों के आधार पर प्रमोट किया जाना चाहिए.
We believe that academic excellence can’t be judged by 1 examination and for academic excellence, we must calculate the aggregate marks of the past semesters.
Beyond which, if students still feel the need to appear for an examination, they voluntarily may do so post covid.— Aaditya Thackeray (@AUThackeray) July 18, 2020
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आपको बता दें कि यूजीसी ने इस साल के आखिर में अंतिम वर्ष की परीक्षा आयोजित करने की बात कही थी. जिसके बाद शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे ने मानव संसाधन मंत्रालय की आलोचना भी की थी और उनके इस फैसले को “बिल्कुल बेतुका और शायद किसी और दुनिया का” करार दिया था. ठाकरे ने अपने ट्वीट में कहा था, “क्या यूजीजी हर स्टूडेंट की स्वास्थ्य की जिम्मेदारी लेगा और चेताया था कि इससे लाखों छात्र-छात्राओं और टीचिंग स्टाफ की जान खतरे में पड़ सकती है.”
साथ ही डॉ रमेश पोखरियाल ने भी कहा था कि, हमारे लिए विद्यार्थियों का स्वास्थ्य, उनकी सुरक्षा, निष्पक्षता और समान अवसर के सिद्धांतो का पालन करना सर्वोपरि है. साथ ही, विश्व स्तर पर विद्यार्थियों की शैक्षणिक विश्वसनीयता, करियर के अवसरों और भविष्य की प्रगति को सुनिश्चित करना भी शिक्षा प्रणाली में बहुत मायने रखता है.
ये कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि किसी भी शिक्षा प्रणाली में विद्यार्थियों का शैक्षणिक मूल्यांकन बहुत महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। परीक्षाओं में प्रदर्शन विद्यार्थियों को आत्मविश्वास और संतुष्टि देता है,
— Dr. Ramesh Pokhriyal Nishank (@DrRPNishank) July 11, 2020