Russia-Ukraine War: भारतीय वायुसेना का ग्लोबमास्टर C-17 भी ऑपरेशन गंगा में हुआ शामिल, जानिए C-17 क्यों है इतना खास
रूस-यूक्रेन के बीच जंगी संघर्ष के कारण हालात काफी गंभीर होते जा रहे हैं, रूस द्वारा यूक्रेन के प्रमुख शहरों पर निरंतर बमबारी और हमले किए जा रहे हैं। इस संघर्ष के बीच यूक्रेन में पढ़ने वाले सैकड़ों छात्र वहां फंस गए हैं।
ANI पर प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने बताया कि यूक्रेन में करीब 20000 भारतीय फंसे थे। तब से करीब 12000 भारतीयों ने यूक्रेन छोड़ दिया है। यह यूक्रेन में फंसे कुल भारतीयों का 60% है। उन्होंने कहा, बचे हुए 40% में आधे खारकीव में फंसे हैं। बाकी आधे जंगी क्षेत्र से बाहर हैं।
गौरतलब है कि भारत वहां फंसे सभी भारतीय छत्रों को वापस लाने के लिए ‘ऑपरेशन गंगा’ अभियान शुरू कर चुका है, बता दें कि ‘ऑपरेशन गंगा’ के साथ अब भारतीय वायुसेना का ग्लोबमास्टर C-17 भी शामिल है।
प्रसार भारती द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार, रूस- यूक्रेन युद्ध के बीच फंसे हुए भारतीय नागरिकों को वापस लाने के लिए C-17 आज सुबह 4 बजे उड़ान भर चुका है।
Indian Air Force C-17 transport aircraft left for Romania at 4 am to bring back Indian citizens from #Ukraine. The aircraft took off from its home base in Hindan. pic.twitter.com/IDRT30ZvbH
— Prasar Bharati News Services पी.बी.एन.एस. (@PBNS_India) March 2, 2022
C-17 क्या है इतना खास:
भारतीय वायुसेना में C-17 को सबसे बड़ा और एक ताकतवर माल वाहक विमान कहा जाता है। इस विमान की लंबाई 174 फीट है जबकि चौड़ाई 170 फीट है और 55 फिट ऊंचा है। यह विमान इमरजेंसी में 1500 फिट की पट्टी पर उतर सकता है। C-17 ग्लोबमास्टर एक बार में 150 से अधिक लोगों को एक से दूसरी जगह ले जा सकता है. इस विमान में 4 इंजन दिए गए हैं
इस विमान में उड़ान के दौरान ही ईंधन भरने की क्षमता है। लैंडिंग के दौरान किसी तरह के खतरे को घटाने को लिए इसमें रिवर्स गियर भी दिया गया है। कारगिल, लद्दाख और उत्तरी-पूर्वी सीमा वाली कठिन जगहों पर ग्लोबमास्टर की लैंडिंग कराई जा सकती है।
बोइंग C-17 विमान के बाहरी हिस्से पर सामान्य हथियारों से होने वाले हमले बेअसर रहते हैं। यह विमान इतना ताकतवर है कि दो ट्रक व तकरीबन 80 टन से भी ज्यादा माल ढोने की क्षमता रखता है. यही कारण है कि इसे ऑपरेशन गंगा में शामिल किया गया है।
इससे पहले भी ऐसे कई अभियानों में शामिल था C-17:
यह पहला मौका नहीं है जब C-17 ग्लोबमास्टर को ऐसे संकट में लोगों को एयरलिफ्ट करने के लिए लगाया गया हो.इससे पहले भी अगस्त 2001 में जब तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा किया था तब सी-17 ग्लोबमास्टर विमान की मदद से 600 भारतीयों को एयरलिफ्ट करके काबुल से भारत लाया गया था।
कोरोनासंकट के बीच C-17 ग्लोबमास्टर विमानों का अहम रोल रहा। कोरोना काल के दौरान जब देश ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहा था तो इसी विमान की सहायता से देश के कई हिस्से में ऑक्सीजन के टैंकर पहुंचाए गए थे।
रसद व राहत सामग्री पहुंचने का भी काम C-17 से:
अक्टूबर 2020 में जब भारत और चीन के बीच तनाव की स्थिति बनने पर भी भारतीय वायुसेना ने अपने सैनिकों के लिए रसद सामग्री इसी विमान के जरिए भारत-चीन के बॉर्डर पर पहुंचाया गया था।
आपदाग्रस्त क्षेत्र में विशेषज्ञों को पहुंचाने का काम भी इसी विमान ने किया है। 8 साल पहले जब बिहार में बाढ़ आई, तो दिल्ली से डॉक्टरों की टीम को इसी विमान ने बिहार पहुंचाया था।
बिहार बाढ़ में मरीजों के इलाज के लिए इस विमान को अस्पताल के तौर पर भी इस्तेमाल किया जा चुका है।
बता दें कि इस बार भी रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच फंसे भारतीय नागरिकों के लिए भी राहत सामग्री ले जा रहा है, भारतीय वायुसेना का यह ताकतवर बोइंग C-17
WATCH | Indian Air Force aircraft carrying tents, blankets, and other humanitarian aid to take off from Hindon airbase shortly. pic.twitter.com/15MT5CFnsN
— Prasar Bharati News Services पी.बी.एन.एस. (@PBNS_India) March 2, 2022
भारत के साथ-साथ अमेरिका, ब्रिटैन, ऑस्ट्रेलिया और कैनेडा जैसे देश भी इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। इस विमान को पहली बार अमेरिकी वायुसेना ने विकसित किया था।