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फैक्ट चेक: मुहर्रम के जुलूस के दौरान मारपीट की घटना को झूठा साम्प्रदायिक रंग दिया गया; जानें सच्चाई

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सोशल मीडिया पर मुहर्रम के जुलूस में कुछ लोगों को मारपीट करते और कार सवारों को लूटते हुए एक वीडियो वायरल हो रहा है। वीडियो से जुड़े कैप्शन में दावा किया गया है कि भीड़ हिंदुओं पर हमला कर रही है, इस तरह इस घटना को सांप्रदायिक रंग दिया गया है।

वीडियो के कैप्शन में लिखा है कि, “बिहार सरकार का सेकुलर इमेज: सा** वोट जो न करवाए अभी भी समय है चेत जोओ हिंदुओं नहीं तो जो होने वाला है 20 साल बाद उसकी कल्पना भी तुम नहीं कर सकते कटिहार — #मोहर्रम में दिखा मुसलमानों का तांडव हिंदू अब* कहीं भी सुरक्षित नहीं* पूर्णिया से इलाज करवा लौट रहे हिंदू परिवार पर हुआ हमला। बीमार के साथ परिजन स्कॉर्पियो से लौट रहे थे, इसी दौरान मोहरम जुलूस में शामिल लोगों के द्वारा स्कॉर्पियो पर किया गया हमला। स्कॉर्पियो छतिग्रस्त। कई लोग जख्मी। घटना कोढ़ा थाना क्षेत्र के मूसापुर के निकट की है।’.

उपरोक्त पोस्ट यहां देखी जा सकती है। इसी तरह की पोस्ट यहाँ, यहाँ, यहाँ और यहाँ

फैक्ट चेक

न्यूज़मोबाइल ने उपरोक्त पोस्ट की जांच की और पाया कि यह दावा फर्जी है।

Google खोज के माध्यम से कुछ कीवर्ड डालने पर हमें 21 अगस्त, 2021 को प्रकाशित ईटीवी बिहार की एक रिपोर्ट मिली, जिसमें वीडियो का एक स्क्रीनशॉट था।

रिपोर्ट की हेडलाइन में लिखा है, “वीडियो: मुस्लिम परिवार पर भीड़ की बेरहमी, महिला-बच्चों की ऐसी बची जान”

रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि पीड़ितों में से एक मसूद आलम ने जुलूस से अपनी कार के लिए जगह बनाने के लिए कहा, लेकिन सभी लोग उग्र हो गए और वाहन को लाठियों से मारना शुरू कर दिया।

एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, इस घटना में मसूद के रिश्तेदार अमीना खातून (50), तबस्सुम खातून (32), फरजाना खातून (6) और वसीम (30) घायल हो गए।

हिंदुस्तान टाइम्स ने मामले का घटनाक्रम का दस्तावेजीकरण किया और खुलासा किया कि पुलिस ने दो FIR की हैं, एक कोढा ब्लॉक विकास अधिकारी (बीडीओ) द्वारा और दूसरी वाहन मालिक एमडी वसीम द्वारा दर्ज की गई है, जो हमले के समय भी कार चला रहे थे।

कटिहार के पुलिस अधीक्षक (एसपी) विकास कुमार ने कहा, “लगभग दो दर्जन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है और अन्य की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है।”

21 अगस्त को प्रकाशित Bihar Tak की एक वीडियो रिपोर्ट में पीड़ित मसूद आलम का एक इंटरव्यू शामिल था।

उपरोक्त जानकारी साबित करती है कि उपरोक्त घटना में कोई सांप्रदायिक कोण नहीं था। इसलिए, वीडियो से जुड़ा दावा FAKE है।

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