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फैक्ट चेक: क्या अग्निवीर योजना के तहत भर्ती हुए जवानों को नहीं मिलेगा शहीद का दर्जा? फर्जी दावा हुआ वायरल, जानें सच

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फैक्ट चेक: क्या अग्निवीर योजना के तहत भर्ती हुए जवानों को नहीं मिलेगा शहीद का दर्जा? फर्जी दावा हुआ वायरल, जानें सच

 

सोशल मीडिया पर दिवंगत जवान अमृतपाल सिंह की अंतिम यात्रा का एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो में दिवंगत जवान के परिजनों को रोते हुए देखा जा सकता है। इसी वीडियो को सोशल मीडिया पर शेयर कर दावा किया देश का पहला अग्निवीर अमृतपाल सिंह शहीद हो गया लेकिन सरकार ने दिवंगत अमृतपाल सिंह को शहीद का दर्जा नहीं दिया।

बता दें कि अमृतपाल को अग्निवीर इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि यह अग्निवीर योजना के तहत फ़ौज में भर्ती हुए थे। वायरल दावे में आगे यह भी कहा गया है कि सरकार ने भारतीय सेना में ‘नियमित’ व ‘अग्निवीर’ सैनिक में भेदभाव व बंटवारा करने का काम किया है। इसके साथ ही कहा जा रहा है कि सेना के दो फौजियों ने अग्निवीर अमृतपाल सिंह का पार्थिव शरीर उनके गांव एक भाई प्राइवेट एंबुलेंस से छोड़ कर गए। जब ग्रामीणों ने पूछा तो उन्होंने बताया कि सरकार की नई नीति के तहत अग्निवीर को शहीद का दर्जा नहीं दिया जाएगा और ना ही सलामी दी जाएगी।

फेसबुक पर वायरल वीडियो को शेयर कर हिंदी भाषा के कैप्शन में लिखा गया है कि, पहला अग्निवीर शहीद” जैसा डर था, वैसा ही हुआ 

सरकार ने भारतीय सेना में ‘नियमित’ व ‘अग्निवीर’ सैनिक में भेदभाव व बंटवारा करने का काम किया है ! शहीद “अग्निवीर” अमृतपाल_सिंह (19वर्ष) की शहादत पर नमन व उनके परिवार के प्रति सवेंदना प्रकट करता हूँ । ओम शांति आज शहीद अग्निवीर अमृतपाल सिंह का पार्थिव शरीर उनके गांव कोटली कलां गया, जिसे 2 फोजी भाई प्राइवेट एंबुलेंस से छोड़ कर गए। जब ग्रामीणों ने पूछा तो उन्होंने बताया कि सरकार की नई नीति के तहत अग्निवीर को शहीद का दर्जा नहीं दिया जाएगा और ना ही सलामी दी जाएगी। इसलिए पूर्व सैनिक और जानकर लोग अग्निवीर नीति का विरोध कर रहे हैं।”

 

फेसबुक के वायरल पोस्ट का लिंक यहाँ देखें।

 

फैक्ट चेक:

न्यूज़मोबाइल की पड़ताल में हमने जाना कि वायरल वीडियो को भ्रामक दावे के साथ शेयर किया जा रहा है।

वायरल वीडियो के साथ शेयर हो रहे दावे की सच्चाई जानने के लिए हमने पड़ताल की।  पड़ताल के दौरान हमने सबसे पहले कुछ संबंधित कीवर्ड्स के साथ गूगल पर खोजना शुरू किया। खोज के दौरान हमें सबसे पहले इस मामले से संबंधित एक खबर ABP की वेबसाइट पर मिली। जिसे अक्टूबर 15, 2023 की को छापा गया था।

यहाँ दी गयी जानकारी के मुताबिक, 11 अक्टूबर को अग्निवीर अमृतपाल सिंह की मृत्यु हुई थी। जिसके बाद उन्हें गॉर्ड ऑफ़ हॉनर न मिलने पर पंजाब सरकार ने केंद्र सरकार व उनकी अग्निवीर की योजना के खिलाफ कई सवाल खड़े किए थे। इसी पर सेना ने एक बयान में कहा कि एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना में अग्निवीर अमृतपाल सिंह ने राजौरी सेक्टर में संतरी ड्यूटी के दौरान खुद को गोली मार ली जिससे उनकी मौत हो गई। अधिक विवरण सुनिश्चित करने के लिए ‘कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी’ जारी है। इसके साथ ही सेना के हवाले आगे लिखा गया है कि सेना ने बताया कि अमृतपाल सिंह के पार्थिव शरीर को एक जूनियर कमीशंड अधिकारी और चार अन्य रैंकों के साथ अग्निवीर की इकाई द्वारा किराए पर ली गई एक असैन्य एम्बुलेंस में उनके गांव ले जाया गया। जिसके बाद उनके साथ आए सेना के जवान भी अंतिम संस्कार में शामिल हुए। सेना ने आगे कहा कि, ”मौत का कारण खुद को पहुंचाई गई चोट पाए जाने के मद्देनजर, मौजूदा नीति के अनुसार कोई सलामी गारद नहीं दी गई या सैन्य अंत्येष्टि नहीं की गई।

इसी बयान के हवाले हमने अपनी जांच को आगे बढ़ाया और सेना के बयान को खोजना शुरू कर दिया। खोज के दौरान हमें सेना के White Knight Corps नामक प्रोफाइल पर उक्त मामले को लेकर एक पोस्ट मिला। जिसे अक्टूबर 14, 2023 को अपलोड किया गया था।

 

पोस्ट में जानकारी देते हुए बताया गया था कि अग्निवीर अमृतपाल की मृत्यु का कारण खुद को पहुंचाई गई चोट यानी आत्महत्या है, इसलिए मौजूदा नीति के अनुसार आत्महत्या के मामले में कोई गार्ड ऑफ ऑनर या सैन्य अंतिम संस्कार प्रदान नहीं किया जा रहा है।

इसके बाद हमने यह जानने का प्रयास किया कि क्या सेना में अग्निवीर योजना के तहत भर्ती हो रहे जवानों को शहीद का दर्जा नहीं दिया जाएगा। इसके लिए हमने कुछ संबंधित कीवर्ड्स के माध्यम से खोजना शुरू किया।

इस दौरान प्लेटफॉर्म एक्स पर हमें भारतीय सेना का एक दूसरा पोस्ट मिला। जिसे अक्टूबर 15, 2023 को किया गया था। इस पोस्ट में सेना ने अग्निवीर जवानों को शहीद का दर्जा न देने वाले वायरल दावों का खंडन किया। साथ ही सेना ने बताया कि अग्निवीर योजना के तहत हुए भर्ती जवानों को यह उससे पहले भारतीय हुए जवानों में कोई भेदभाव नहीं करता है।

पोस्ट में सेना ने बताया गया है कि आत्महत्या/स्वयं को लगी चोट के कारण होने वाली मृत्यु की दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं, प्रवेश के प्रकार की परवाह किए बिना, सशस्त्र बलों द्वारा परिवार के साथ गहरी और स्थायी सहानुभूति के साथ-साथ उचित सम्मान दिया जाता है। हालाँकि, ऐसे मामले प्रचलित 1967 के मौजूदा सेना आदेश के अनुसार सैन्य अंत्येष्टि के हकदार नहीं हैं। इस विषय पर बिना किसी भेदभाव के नीति का लगातार पालन किया जा रहा है। उपलब्ध आँकड़ों के अनुसार, 2001 के बाद से 100 से 140 सैनिकों के बीच औसत वार्षिक क्षति हुई है, जहाँ आत्महत्याएँ/स्वयं को लगी चोटों के कारण मौतें हुईं, और ऐसे मामलों में सैन्य अंत्येष्टि की अनुमति नहीं दी गई।

पड़ताल के दौरान हमें भारतीय सेना का एक और पोस्ट मिला जहां सेना ने हाल ही शहीद हुए एक अग्निवीर जवान से जुड़ी कुछ जानकारियां दी हैं। पोस्ट में सेना ने बताया कि लद्दाख के सियाचिन में तैनात भारतीय सेना के जवान ‘गावते अक्षय लक्ष्मण’ लाइन ऑफ ड्यूटी पर तैनाती के दौरान शहीद होने वाले पहले अग्निवीर हैं। सेना के लेह स्थित फायर एंड फ्यूरी कोर ने रविवार को बताया कि सियाचिन में ड्यूटी के दौरान एक अग्निवीर लक्ष्मण शहीद हुए हैं। सेना ने  शहीद गावते अक्षय लक्ष्मण के निधन पर शोक व्यक्त किया है और बताया है कि उनके परिवार को 1 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि मिलेगी।

पड़ताल के दौरान मिले तथ्यों से हमने जाना कि वायरल दावा फर्जी है। भारतीय सेना अग्निवीर योजना के तहत भर्ती हुए जवान व उस योजना के पहले भर्ती हुए जवानों में कोई भेदभाव नहीं करती। साथ ही अग्निवीर अमृतपाल सिंह का मामला आत्महत्या से जुड़ा था इसलिए उन्हें गॉर्ड ऑफ़ हॉनर नहीं दिया गया।