उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में प्रदर्शनकारियों के एक समूह को कथित रूप से कुचलने के आरोप में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा को बर्खास्त करने और उनके बेटे आशीष मिश्रा की गिरफ्तारी की मांग को लेकर किसान संगठन संयुक्त किसान मोर्चा ने 18 अक्टूबर, 2021 को एक राष्ट्रव्यापी ‘रेल रोको‘ का मंचन किया।
इस पृष्ठभूमि में एक तस्वीर, जिसमें एक व्यक्ति रेलवे ट्रैक के बीच में हरे और सफेद झंडे को पकड़े हुए बैठा है, यह दावा करते हुए सोशल मीडिया पर वायरल हो गयी है कि यह हाल ही में हुए ‘रेल रोको’ विरोध प्रदर्शन की है।
तस्वीर को फेसबुक पर एक कैप्शन के साथ शेयर किया जा रहा है जिसमे लिखा है कि, “पंजाब में एक बार फिर किसान ट्रेनाें का चक्का जाम करेंगे। साेमवार काे सुबह 10 से शाम 4 बजे तक रेल ट्रैकाें पर धरना देने का ऐलान किया गया है। रेलवे ने यात्रियाें काे सफर न करने की हिदायत दी है।”
यहाँ उपरोक्त पोस्ट का लिंक है। इसी तरह की पोस्ट यहाँ, यहाँ और यहाँ देखें।
फैक्ट चेक
न्यूज़मोबाइल ने उपरोक्त दावे की जांच की और इसे भ्रामक पाया। एक साधारण रिवर्स इमेज सर्च ने हमें 18 फरवरी, 2021 को द हिंदू के एक समाचार लेख तक पहुँचाया, जिसमें वही वायरल तस्वीर थी।
तस्वीर के कैप्शन में लिखा है, “अंबाला के शाहपुर में गुरुवार, 18 फरवरी, 2021 को देशव्यापी ‘रेल रोको’ आंदोलन के हिस्से के रूप में प्रदर्शन कर रहे किसानों ने रेलवे ट्रैक को ब्लॉक कर दिया।” लेख की हेडलाइन में लिखा है, “किसानों का रेल रोको आंदोलन: उत्तर रेलवे क्षेत्र में 25 ट्रेनों का नियमन।”
आगे की खोज में, हमें वही तस्वीर 19 फरवरी, 2021 को प्रकाशित एक अन्य समाचार लेख में दिखाई दी। हमने देखा कि तस्वीर पीटीआई की थी।
लेख के अनुसार, संसद द्वारा अनुमोदित विवादास्पद कृषि कानूनों के विरोध में किसान संघों द्वारा एक राष्ट्रव्यापी ‘रेल रोको’ कार्यक्रम बुलाया गया था, जिसने कुछ राज्यों में ट्रेन सेवाओं को बाधित कर दिया था।
हमें पीटीआई के आर्काइव में भी यही तस्वीर मिली, जिसका कीवर्ड “रेल रोको आंदोलन शाहपुर” था।
इस प्रकार, उपरोक्त जानकारी से स्पष्ट है कि किसानों के ‘रेल रोको’ विरोध की एक पुरानी तस्वीर को हाल ही में गलत तरीके से साझा किया जा रहा है। इसलिए वायरल हो रहा दावा भ्रामक है।
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