कोरोना वायरस से झूझ रहे भारत में आये दिन कोई न कोई ऐसी खबर आती है जो हमे झकझोर देती है। कभी अस्पताल प्रशासन द्वारा मन मानी वाली फीस वसूले जाने की बात हो या फिर कोरोना के चलते मरीज़ों के साथ हो रहे खिलवाड़ की और इसी घटना का जीता जागता सबूत हमे मिला हैदराबाद में। दरअसल हैदराबाद में एक अस्पताल के प्रबंधन ने फीवर अस्पताल की डीएमओ डॉक्टर सुल्ताना को अधिक बिल के चलते बंधी बना लिया। इस घटना का एक वीडियो वायरल भी हो रहा है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, डॉक्टर सुल्ताना कोरोना संक्रमण के चलते तुंबे अस्पताल में भर्ती हुई। अस्पताल के प्रबंधन ने डॉक्टर सुल्ताना को 24 घंटे में 1.15 लाख बिल देने का दबाव डाला। जब सुल्ताना ने इतना ज्यादा बिल के बारे में सवाल किया तो प्रबंधन ने उन्हें बंदी बना लिया। सुल्ताना ने इस घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया में शेयर किया है।
Terrible. Meet Dr Sultana, #COVIDー19 warrior from #Hyderabad, now #coronavirus +ve. Admitted to a pvt hosp, she is being tortured to to pay ₹1.15 lakhs/day. Hosp refusing to give treatment & food due to her inability to pay @TelanganaCMO @KTRTRS @narendramodi@drharshvardhan pic.twitter.com/QyeXp64kve
— Sourav Sanyal (@SSanyal) July 6, 2020
जारी वीडियो में सुल्ताना रोते हुए आपबीती सुना रही है। उसने कहा कि अधिक बिल के बारे में पूछे जाने पर उसे बंदी बनाया गया है। सुल्ताना ने रोते हुए यह भी कहा कि उसके साथ उसके परिवार के अन्य सदस्य भी कोरोना से संक्रमित हुए हैं। कोरोना के लक्षणों के साथ अस्पताल में भर्ती अन्य मरीजों से भी लाखों रुपये वसूला गया है।
डॉक्टर सुल्ताना ने अस्पताल में रहने के दौरान हुई घटनाओं के बारे में चदरघाट इंस्पेक्टर को एक शिकायत भी लिखी है। हालांकि, चदरघाट पुलिस ने कोई शिकायत मिलने से इनकार कर दिया है।
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दूसरी ओर, परिवार के सदस्यों ने डॉ.सुल्ताना को शीघ्र ही अस्पताल से छुड़वाने के लिए सरकार से आग्रह किया है। साथ ही अस्पताल की मान्यता को रद्द करने और सुल्ताना को किसी अन्य अस्पताल में भर्ती कराने के लिए आवश्यक कदम उठाने की भी मांग की है।
इस घटना पर स्वास्थ्य मंत्री ईटेला राजेंदर ने प्रतिक्रिया दी है। मंत्री ने अधिकारियों को आदेश दिया कि डॉक्टर सुल्ताना का निम्स अस्पताल में फ्री में इलाज किया जाये। इसके चलते अधिकारियों ने सुल्ताना को तुंबे अस्पताल से निम्स को स्थानांतरित किया है। उन्होंने यह भी कहा कि तुंबे अस्पताल में घटित घटना की जांच की जाएगी।
मगर ये पूरी घटना कई प्रश्न खड़े कर देती है। आखिर कब तक देश के निजी अस्पताल मरीज़ों से मनमानी वाली फीस वसूलेंगे? जब देश के कोरोना योद्धाओं के साथ ही ऐसा दुर्व्यवहार हो रहा तो ऐसे अस्पताल आम जनता के साथ कैसा सलूख करेंगे? सरकार का काम निजी अस्पतालों के दर कम करने का बस है या बाद में इन्ही निजी अस्पतालों पर नज़र भी बनाये रखना?