कोरोना के इलाज की प्रोटोकॉल यानी (Covid Protocol) में बदलाव की मांग वाली याचिका को दिल्ली हाई कोर्ट ने आज खरिज कर दिया है। इतना ही नहीं दिल्ली हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर 25 हज़ार का जुर्माना भी लगाया। इस याचिका को खारिज करते हुए हाई कोर्ट ने कहा, ‘एक्सपर्ट के द्वारा कोरोना के इलाज की प्रोटोकॉल बनाई जा रही है, हर कोई सरकार को सलाह दे रहा है, अब हर कोई आयेगा और कहेगा, यह नहीं दूसरी दवा अच्छी थी’।
दिल्ली हाई कोर्ट ने आगे कहा कि अगर इस प्रकार की याचिकाओं को अनुमति दी गई, हर कोई आएगा और कोरोना के उपचार में संशोधन की मांग करेगा। सरकार के पास पर्याप्त विशेषज्ञ और बहु सदस्यीय समिति है जो दैनिक आंकड़ों के आधार पर फैसला लेती है, इसे इतनी आसानी से संशोधित नहीं किया जा सकता है।
कमेटी के एक्सपर्ट कर रहे है बहुत सी दवाओं पर शोध
ख़बरों के मुताबिक, कोरोना के इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली दवाएं और उनके प्रोटोकॉल को तय करने वाली कमेटी के एक्सपर्ट बहुत सी दवाओं पर शोध कर रहे हैं। दरअसल इन शोधों के नतीजों के बाद तय होगा कि कौन सी दवाएं बाहर की जाएंगी और कौन सी नई दवाएं जोड़ी जाएंगी। खबरे ये भी है की सबसे ज्यादा चर्चा रेमडेसिविर इंजेक्शन को लेकर है।
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बता दे विश्व स्वास्थ्य संगठन लगातार इस बात का उल्लेख करता आया है कि इस इंजेक्शन की कोरोना के इलाज में कोई महत्वपूर्ण भूमिका नहीं है। अब उसने इसे हटाने को लेकर सिफ़ारिश भी कर दी जिसपर कथित तौर पर निर्णय जल्द होगा।
टीके में प्राथमिकता को लेकर भी याचिका दायर हुई दायर।
वहीं इससे पहले भी दिल्ली हाई कोर्ट ने कोविड-19 रोधी विदेशी टीकों के क्लिनिकल ट्रायल से छूट देने और टीकाकरण में पहली खुराक ले चुके लोगों को प्राथमिकता देने के लिये दायर याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया था। कोर्ट ने सख्त टिप्प्णी करते हुए कहा कि, दिल्ली में यह चलन बन गया है कि कभी भी लोग कोर्ट में याचिका दायर कर टीकाकरण में प्राथमिकता मांगने लगते है। यदि सभी को प्राथमिकता दी जाए, तो सवाल यह है कि फिर बाद में टीका किसे लगेगा ?