दिल्ली में गुरुवार (आज) से नई टेस्टिंग तकनीक ‘रैपिड एंटीजन टेस्ट’ (Rapid Antigen Test) के जरिए कोरोनावायरस की टेस्टिंग शुरू हो गई है. फिलहाल ICMR (Indian Council of Medical Research) ने इस तकनीक को केवल कंटेनमेंट जोन और अस्पताल या क्वॉरेंटाइन सेंटर में इस्तेमाल करने की इजाजत दी है. इसकी जानकारी खुद दिल्ली के मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर के दी।
दिल्ली में करोना की टेस्टिंग -आज दो महत्वपूर्ण घटनायें हुईं
1. दिल्ली में टेस्टिंग के रेट घटाकर 2400 रुपए किए
2. आज से दिल्ली में रैपिड ऐंटिजेन टेस्टिंग शुरू हुई जिसके नतीजे 15 मिनट में आ जाते हैं
उम्मीद करता हूँ कि अब दिल्ली के लोगों को टेस्टिंग की कोई समस्या नहीं होगी
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) June 18, 2020
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के साथ दिल्ली और NCR के ज़िलों के अधिकारियों के साथ बैठक ख़त्म होने के बाद अमित शाह ने केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव को आदेश दिया है कि वे हरियाणा और उत्तर प्रदेश के जिलों को भी एंटीजेन किट उपलब्ध कराएं। इसके अलावा NCR के जिलों में भी कोरोना टेस्ट की दर दिल्ली की ही तरह तय करने का आदेश दिया है। ऐसे में अब गाजियाबाद, नोएडा, गुरुग्राम, फरीदाबाद, सोनीपत, पलवल समेत एनसीआर के सभी जिलों में 2400 रुपये में कोरोना वायरस संक्रमण का टेस्ट हो सकेगा। आईसीएमआर के निर्देशों के मद्देनजर अब तक दिल्ली में कोरोना वायरस का टेस्ट 4,500 रुपये में हो रहा था।
बृहस्पतिवार को हुई बैठक में उत्तर प्रदेश और हरियाणा के मुख्य सचिव, नोएडा, गाज़ियाबाद, फ़रीदाबाद, गुरुग्राम और सोनीपत के ज़िलाधीश वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से इस बैठक में जुड़े, जबकि गुरुग्राम और फ़रीदाबाद मंडल के आयुक्त गृह मंत्रालय में ही उपस्थित रहे।
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क्या है दिल्ली सरकार ही तैयारी?
दिल्ली में 20 जून से रोजाना करीब 18 हजार कोरोना टेस्ट कराने की योजना है जिसमें इस तकनीक को सभी मौजूदा 247 कंटेनमेंट जोन में इस्तेमाल किया जाएगा. केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश के बाद दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण इस तकनीक के जरिए किए जाने वाले टेस्ट के लिए पूरा शेड्यूल तैयार कर रहा है यानी कब, कहां, कितने टेस्ट कराए जाने का लक्ष्य है यह तय किया जा रहा है.
हालांकि, बता दें कि इसके पहले एक ‘रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट’ भी शुरू किया गया था, लेकिन उसका ट्रायल सफल नहीं रहा था. कई राज्यों की ओर से शिकायतें आई थीं कि इस टेस्टिंग तकनीक में 90 फीसदी नतीजे गलत आ रहे हैं, जिसके बाद फिर से RTPC टेस्ट पर ही भरोसा किया जा रहा था. ऐसे में देखना होगा कि यह नई तकनीक कितनी सफल रहती है.